ब्रसेल्स: तुर्की जलक्षेत्र में डूबे सीरियाई बच्चे की भयावह तस्वीरों से स्तब्ध यूरोपीय नेता प्रवासियों के गहराते संकट से निपटने के लिए 28 सदस्यीय ब्लॉक में व्याप्त गहरे मतभेदों के बावजूद नए प्रस्ताव लेकर आए हैं।


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मृत अवस्था में तट पर पड़े तीन वर्षीय आयलान कुर्दी की तस्वीरों ने शरणार्थी संकट की भयावह झलक दिखाकर लोगों के दिलों को दहला दिया। यह बच्चा अपने परिवार के साथ नौका में सवार होकर यूनान जा रहा था और नौका बीच में ही डूब गई थी। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से यह अब तक का सबसे भीषण शरणार्थी संकट है।


एक ओर जहां इस स्थिति से निपटने को लेकर यूरोप में तनाव बढ़ रहा है, वहीं फ्रांस और जर्मनी ने कहा है कि वे इस बात पर सहमत हैं कि यूरोपीय संघ को सदस्य देशों द्वारा तय बाध्यकारी संख्या के तहत लोगों प्रवेश देने के नियम लागू करने चाहिए। जून में ऐसा कोई समझौता हो नहीं पाया था।


जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने स्विस राजधानी की यात्रा के दौरान संवाददाताओं को बताया, ‘हम इस पर सहमत हैं। हमें बोझ को बांटने के लिए यूरोपीय संघ के भीतर बाध्यकारी हिस्सेदारी तय करने की जरूरत है। यह एकजुटता का सिद्धांत है।’ एक यूरोपीय सूत्र ने एएफपी को बताया कि यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लॉड जंकर अगले सप्ताह कम से कम 1.2 लाख और शरणार्थियों को नई जगह आवंटित करने की योजना लेकर आएंगे ताकि यूरोपीय संघ के देशों यूनान, इटली और हंगरी का बोझ कम किया जा सके।


यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने भी सदस्य देशों से अपील की कि वे कम से कम एक लाख शरणार्थियों के पुनर्वास में साझेदारी करें। यह संख्या 32 हजार शरणार्थियों के मौजूदा समझौते में वर्णित संख्या से कहीं ज्यादा है।


द गार्डियन अखबार के अनुसार, ब्रिटेन में प्रधानमंत्री डेविड कैमरन शरणार्थियों की बढ़ती संख्या में से एक बड़े हिस्से को स्वीकार करने के लिए बढ़ रहे दबाव पर सीरिया से लगने वाली सीमा पर स्थित संयुक्तराष्ट्र के शिविरों से हजारों शरणार्थियों को सीधे तौर पर स्वीकार करके प्रतिक्रिया देने की तैयारी कर रहे हैं।


कैमरन ने पिछले साल सिर्फ 216 सीरियाई शरणार्थियों को स्वीकार करने के बाद यह वादा किया था कि ब्रिटेन अपनी ‘नैतिक जिम्मेदारियों’ को पूरा करेगा। उन्होंने कहा था कि इस संख्याबल की ‘समीक्षा’ की जाएगी। डूबे हुए बच्चे की तस्वीरों के बाद कार्यवाही का दबाव बढ़ जाने के बीच यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री आज लग्जमबर्ग में बैठक करके इस बढ़ते हुए संकट पर चर्चा करेंगे।