Houthi Rebels Weapon Storage: सात अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर आतंकी हमला किया था. उस हमले के बाद इजरायल ने कसम खाई कि हमास को खत्म करने के साथ ही लड़ाई खत्म होगी. लेकिन उसका असर लाल सागर और अदन की खाड़ी में दिखाई दे रहा है. सात अक्टूबर से अब तक यमन के हूती विद्रोहियों ने दर्जनों उन कार्गो शिप को निशाना बनाया है जिसका नाता अमेरिका या इजरायल से हो सकता है. इन सबके बीच अमेरिका और ब्रिटेन की फोर्स ने मिलकर यमन की राजधावी सना में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बनाया है.


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अमेरिका- ब्रिटेन ने की बमबारी

अमेरिका और ब्रिटेन ने दावा किया है कि हूती विद्रोहियों के हथियारों के जखीरों पर एयर अटैक किया गया है. पेंटागन ने दावा किया है कि साना में हूती विद्रोहियों के अंडरग्राउंड स्टोरेज को टारगेट किया गया है. यह वो स्टोरेज है जिसमें बड़ी मात्रा में मिसाइल और दूसरे हथियार रखे गए हैं. इन मिसाइल की मदद से लाल सागर में हूती कार्गो जहाजों को निशाना बना रहे हैं. रायटर्स ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें साना के आसमान में ऑरेंज कलर की रोशनी के साथ साथ फाइटर प्लेन को उड़ते हुए देखा गया है.


हूती विद्रोहियों ने भी दी चेतावनी

हमास और फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े हुए हूती विद्रोहियों का कहना है कि वो पूरी तरह से उनके साथ हैं. जब तक इजरायल की सेना निर्दोष फिलिस्तीनी लोगों को निशाना बनाना नहीं छोड़ेगी तब तक वो लाल सागर में कार्गो जहाजों पर हमला करते रहेंगे. खासतौर से अमेरिकी जहाजों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ने वाले हैं. लाल सागर में हूती हमलों का असर भी नजर आ रहा है. अब जहाजों को यूरोप से एशिया या एशिया से यूरोप जाने वाले जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप रूट की मदद लेनी पड़ रही है, उसका असर यह हो रहा है कि ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ रहा है.


अमेरिका-ब्रिटेन को 6 और देशों का मिला साथ

अमेरिका और ब्रिटेन का कहना है कि उनका मकसद अंसार अल्लाह यानी हूती विद्रोहियों की ताकत को कमजोर करना है. बता दें कि हूतियों का असर यमन के ज्यादातर हिस्सो में है. दोनों देशों का कहना है कि उनका मकसद साना के उन हिस्सों को निशाना बनाना हैं जहां हूती ताकतवर हैं. दुनिया के लिए हूती खतरनाक हैं और उनकी क्षमता पर प्रहार करना जरूरी है.  साना में हूती ठिकानों पर हवाई हमले में ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड का समर्थन लिया गया है. हालांकि हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर कई दौर के हमले के बाद भी वो लाल सागर के साथ साथ अदन की खाड़ी में कार्गो जहाजों पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे.