US troops in Syria: डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीते तो कई देशों को काफी उम्मीद थी. लेकिन इस बार ट्रंप अपने दोस्तों पर बहुत ज्यादा मेहरबान नजर नहीं आ रहे हैं. इसी कड़ी में ट्रंप ने इजरायल को भी एक छोटा झटका दे दिया है. हुआ यह कि सीरिया से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की कवायद शुरू हो गई है. हालांकि सीरिया से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की खबरों के बीच इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने कहा है कि उनकी सेना सीरिया में अनिश्चित काल तक मौजूद रहेगी. मंगलवार को माउंट हरमोन की सैन्य चौकियों के दौरे के दौरान उन्होंने कहा कि इजरायली रक्षा बल IDF इस इलाके में मजबूती से तैनात रहेगा और किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.


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दरअसल, इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने कहा कि उनकी सेना का उद्देश्य इजरायली नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. उन्होंने यह भी दावा किया कि इजरायल, ईरान से जुड़े गुटों और अन्य विरोधी संगठनों को दक्षिणी सीरिया में पैर जमाने से रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. उनका कहना है कि इजरायल अपने बचाव के लिए किसी और देश पर निर्भर नहीं रहेगा और क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए स्थानीय आबादी, खासकर ड्रूज़ समुदाय के साथ मजबूत संबंध बनाएगा.


इजरायल के लिए चिंता का विषय


इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीरिया से सैकड़ों अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की योजना बना रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने इजरायली नेतृत्व को इस फैसले के संकेत दिए हैं. अगर ऐसा होता है तो यह इजरायल के लिए चिंता का विषय होगा. क्योंकि अमेरिका के समर्थन के बिना क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन प्रभावित हो सकता है.


अमेरिका के करीब 2000 सैनिक तैनात


फिलहाल सीरिया में अमेरिका के करीब 2000 सैनिक तैनात हैं. माउंट हरमोन जो 2814 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इस क्षेत्र का सबसे ऊंचा स्थान है. जहां से इजरायल सीरिया और लेबनान का नजारा दिखता है. 1967 के मध्य पूर्व युद्ध में इजरायल ने गोलान हाइट्स के निचले हिस्से पर कब्जा कर लिया था, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली.


वापसी के बाद क्या होगा?
दिसंबर में बशर अल-असद की सरकार के कमजोर होने के बाद इजरायल ने बफर जोन में जमीनी सेना भेजी जो संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में रखा गया एक विसैन्यीकृत क्षेत्र है. इजरायली सेना ने सीरिया के करीब 500 ठिकानों पर बमबारी की, यह दावा करते हुए कि वे विद्रोही समूहों के हाथों में हथियार जाने से रोकना चाहते हैं. अब अमेरिकी सैनिकों की संभावित वापसी के बाद क्षेत्र में सुरक्षा हालात और भी जटिल हो सकते हैं.