वाशिंगटन : ऑपरेशन के दौरान इस्तेमाल होने वाला आम एनेस्थीसिया फेफड़ों में बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है और इस तरह जुकाम और न्यूमोनिया में उपयोगी हो सकता है।


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चूहों पर प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि आपरेशनों में इस्तेमाल होने वाला तथाकथित ‘वाष्पशील’ एनेस्थीसिया में रोग प्रतिरोधी प्रणाली पर शक्तिशाली प्रभाव डालने की भी क्षमता हो सकती है जो जुकाम और न्यूमोनिया समेत फेफड़ों में बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह निष्कर्ष उन अध्ययनों के आधार पर निकाला जिनमें उपरी श्वसन नलिका के वाइरस संक्रमण से पीड़ित बच्चों को मामूली आपरेशनों के दौरान जब हैलोथेन एनेस्थीसिया दिया गया तो उनमें श्वसन की समस्याओं में उल्लेखनीय कमी आई।


जॉन होपकिन्स इंस्टीट्यूट ऑफ नैनोबायोटेक्नोलाजी के संकाय सदस्य कृष्णन चक्रवर्ती और यूनिवर्सिटी ऑफ बफेलो स्कूल ऑफ मेडिसीन ऐंड बायोमेडिकल साइंसेज में एनेस्थीसियोलोजी के प्रोफेसर पॉल नाइट और दीगर अनुसंधानकर्ता वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमणों पर सूंघी जाने वाली एनेस्थेटिक दवाओं के प्रभाव जानने के लिए चूहों को जुकाम के वायरस और स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी बैक्टीरिया के संपर्क में लाए।


अनुसंधानकर्ताओं के दल ने पाया कि प्राणियों को हैलोथेन जैसे वाष्पशील एनेस्थेटिक देने से फेफड़ों पर बैक्टीरिया का बोझ और संक्रमण के कारण फेफड़ों को होने वाले नुकसान में कमी आई। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जुकाम पैदा करने वाले वायरस के संक्रमण के बाद एनेस्थेटिक रासायनिक सिग्नलिंग को ब्लाक कर बैक्टीरिया रोधी रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। रासायनिक सिग्नलिंग को ब्लाक करने में ‘टाइप 1 इंटरफेरोन’ नामक प्रोटीन के समूह की भूमिका होती है जो रोग प्रतिरोधी प्रणाली की गतिविधियां नियमित करने में मदद करता है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि हैलोथेन के संपर्क में आए प्राणियों में प्रभावी बैक्टीरिया 450 गुणा कम होते हैं।