Bride Market: भारतीय संस्कृति में शादी एक बहुत पवित्र प्रक्रिया है. शादी के बाद एक जोड़ा हमेशा-हमेशा के लिए एक दूसरे का हो जाता है. जब भी किसी की शादी के समय आता है तो उसके रिश्ते ढूंढने के लिए कड़ी मशक्कत की जाती है. हालांकि आज के दौर में लव मैरिज भी काफी आम हो गई है. लव मैरिज में लड़का/लड़की के परिवार को रिश्ता ढूंढने की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती. हालांकि आज हम आपको एक दिलचस्प बाजार के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां दुल्हनें बाजार में आलू-टमामटर या अन्य सब्जियों की तरह बिकती हैं.


सज-धजकर आती हैं लड़कियां:


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अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भी कहीं होता है? तो इसका जवाब है हां और इस तरह का बाजार भारत में बल्कि बुल्गारिया में लगता है. इस बाजार में मौजूद लड़कियां लड़कों को लुभाने के लिए बहुत अच्छे से तैयार होती हैं और गहने भी पहनती हैं. इसके अलावा लड़कों को लुभाने के लिए कई तरह की चीजें करती हैं. लोग वहां नाचने, शराब पीने और खाने के साथ-साथ अन्य एक्टिविटीज के लिए भी इकट्ठा होते हैं. इस जगह को जिप्सी ब्राइड मार्केट के नाम से भी जाना जाता है.


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खुशी मनाता है पूरा परिवार:


हो सकता है कि आप इस परंपरा को नीची निगाहों से देख रहे हों लेकिन जिस समाज के लोग यह काम करते हैं उनके लिए यह बिल्कुल आम सी बात है. इस मौके पर बाजार में आने वाली लड़कियों के माता-पिता और अन्य पारिवारिक लोग भी खुशी-खुशी और सज-धजकर पहुंचते हैं और उन्हें इस बात पर फख्र होता है कि उनकी बेटी शादी की उम्र तक पहुंच गई और अब वे अपने समाज की परंपराओं का सफलतापूर्वक पालन करने जा रहे हैं. इस समुदाय के लोग किसी अन्य समुदाय में विवाह वर्जित मानते हैं, क्योंकि अगर वो किसी दूसरे समुदाय में शादी करेंगे तो उन्हें अपना समुदय खत्म होने का खतरा है. 



वर्जिनिटी पर लगती है बड़ी कीमत:


यह समुदाय लगभग 12वीं-14वीं शताब्दी में बुल्गारिया और पूर्वी यूरोप के अन्य राज्यों में चला गया. इस समाज में लड़कियों और महिलाओं को किसी भी पुरुष सदस्य से मिलने या डेट करने की अनुमति नहीं है. समुदाय की लड़कियों को केवल अपने परिवारों के माध्यम से मेले में पुरुषों से मिलने की अनुमति है. बाजार में लड़कियों की वर्जिनिटी को उच्च प्राथमिकता दी जाती है. इसकी बुनियाद पर कीमतों बड़ा बदलाव हो जाता है, अन्यथा गैर कुंवारी महिलाओं को कम कीमत पर बेचा जाता है. डेली मेल के मुताबिक दुल्हन बाजार वसंत और गर्मियों के दौरान अलग-अलग धार्मिक छुट्टियों पर साल में चार बार आयोजित किया जाता है.


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