इजराइल में गम का माहौल गुस्से में बदला, क्या शासन की सबसे बड़ी चुनौती को पार कर पाएंगे नेतन्याहू?
Israel-Hamas War: पिछले साल अक्तूबर में हमास के हमले के बाद इस पहली देशव्यापी हड़ताल ने देश को भी ठप कर दिया. इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत छह बंधकों के शव मिलने के बाद हुई जिनकी हमास ने हत्या की थी और उसके कुछ समय बाद इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने उन्हें बरामद किया.
Israel-Hamas War: गाजा में हमास के बंधक बनाए गए लोगों को रिहा कराने के लिए समझौता करने में इजराइल सरकार की नाकामी पर इजराइली लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. पिछले कुछ दिनों में देश भर में लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हैं, जिनमें से कुछ अमेरिकी दूतावास और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आवासों के बाहर भी जमा हुए हैं.
पिछले साल अक्तूबर में हमास के हमले के बाद इस पहली देशव्यापी हड़ताल ने देश को भी ठप कर दिया. इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत छह बंधकों के शव मिलने के बाद हुई जिनकी हमास ने हत्या की थी और उसके कुछ समय बाद इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने उन्हें बरामद किया.
नेतन्याहू ने सोमवार को मृतकों के परिजन से माफी मांगी जो एक दुर्लभ बात है. ये प्रदर्शन इजराइल के आम लोगों की एक बड़ी संख्या और उनकी निर्वाचित सरकार के बीच खराब होते संबंधों को दर्शाते हैं और इनमें सुधार अब असंभव प्रतीत होता है. तो, नेतन्याहू कैसे देंगे प्रतिक्रिया?
दो साल से जारी सामूहिक प्रदर्शन
जनवरी 2023 में इजराइल के इतिहास की सबसे बड़ी दक्षिणपंथी सरकार के गठन के बाद से देश में बड़े पैमाने पर नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. साल 2023 के प्रदर्शनकारियों ने न्यायिक प्रणाली में सुधार के सरकार के प्रस्तावों के खिलाफ गुस्सा जताते हुए सड़कों पर कई बार मार्च निकाला. इन प्रस्तावों का मकसद इजराइल के सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को सीमित करना है.
दक्षिणी इजराइल पर पिछले साल सात अक्तूबर को हमास के आतंकवादी हमले के बाद से बंधकों के परिवारों ने नियमित रूप से रैलियां निकाली हैं और सरकार से बंधकों को घर वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करने की मांग की. हमास ने करीब 250 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया था. पिछले साल नवंबर में हमास के साथ बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के दौरान 100 से ज्यादा लोगों को रिहा किया गया था. माना जाता है कि करीब 100 लोग अब भी बंधक हैं, जिनमें से करीब 35 के मारे जाने की आशंका है.
सीजफायर वार्ता का नहीं निकला कोई हल
अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता में सीजफायर वार्ता के अंतहीन दौर का युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है. हमास इस समझौते के लिए गाजा से इजराइल की पूर्ण वापसी पर जोर दे रहा है, जबकि इजराइल इस क्षेत्र के दो गलियारों में आईडीएफ की लगातार उपस्थिति की मांग कर रहा है. मध्यस्थों को समझौता होने की उम्मीद थी लेकिन नेतन्याहू ने हाल में अपना रुख कड़ा कर लिया.
प्रधानमंत्री राजनीतिक रूप से मुश्किल स्थिति में फंस गए हैं. उनके गठबंधन सहयोगी, दक्षिणपंथी मंत्री इटमार बेन-ग्वीर और बेजेल स्मोट्रिच ने धमकी दी है कि अगर नेतन्याहू हमास के साथ एक ऐसे समझौते को स्वीकार करते हैं, जो युद्ध में पूर्ण जीत की गारंटी नहीं देता है, तो वे सरकार गिरा देंगे.
अपनों के बीच घिरे नेतन्याहू
दूसरी ओर, रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने नेतन्याहू पर अपने राजनीतिक अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए युद्धविराम समझौते की हर संभावना को जानबूझकर नष्ट करने का आरोप लगाया है.
बंधकों के जीवन को प्राथमिकता देने में सरकार की विफलता शीर्ष अधिकारियों की असंवेदनशीलता से और भी बढ़ गई है. जुलाई में नेतन्याहू ने भी कहा था, 'बंधक पीड़ा झेल रहे हैं, लेकिन मर नहीं रहे.' लेकिन हालिया हफ्ते में यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है कि नेतन्याहू गलत थे. गाजा के अंदर बंधकों के शवों की बढ़ती संख्या ने इजराइलियों को झकझोर कर रख दिया है.
ताजा झटका 31 अगस्त को उस समय लगा जब आईडीएफ सैनिकों ने मारे गए छह बंधकों के शव बरामद किए. बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन इस बात का सबूत हैं कि इजराइल में कई लोगों को लग रहा है कि उन्हें अपनी ही सरकार ने त्याग दिया है. उन परिवारों की उम्मीदें तेजी से धूमिल होती जा रही है, जिनके परिजन बंधक हैं.