नई दिल्ली: चीन में कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दोबारा दस्तक दी है, और देश पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. ऐसे समय जब देश अपनी अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश कर रहा है, तो कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी दस्तक उसे फिर डराने लगी है. अप्रैल की शुरुआत से ही, चीन में COVID-19 के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. 


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यहां 1 अप्रैल को 30 नए मामले सामने आए थे जो पिछले 24 घंटों में 100 से भी ज्यादा हो चुके हैं. और इसके फैलने का तरीका ठीक उसी तरह का है जैसा कि बाकी देशों में फैल रहा है.


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चीन ने छह सप्ताह के बाद 100 से अधिक मामलों की सूचना दी थी. चीन ने आखिरी बार इतने मामले 5 मार्च को दर्ज किए थे. दिलचस्प बात तो यह है कि नए मामलों में से 98 लोग वो हैं जो विदेश से लौटे थे और इनमें से ज्यादातर हेइलोंगजियन के सीमावर्ती प्रांत से बताए गए हैं.


यह वो क्षेत्र है जो रूस के साथ 1,500 किलोमीटर की सीमा साझा करता है और लॉकडाउन के दौरान रूस से लौटने वाले चीनी नागरिकों के लिए यही वो आखिरी स्थान था जहां वो रुके हुए थे. रविवार को रूस से आए 49 चीनी नागरिक कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे.


सीमावर्ती कस्बों ने कोरोना वायरस के दूसरे प्रहार को रोकने के लिए रोकथाम के सख्त उपाय अपनाए हैं. आवाजाही और मिलने-जुलने पर वैसा ही प्रतिबंध लगा हुआ है जैसा आखिरी बार जनवरी में वुहान में देखा गया था.


सुफेन्हे जैसे कुछ शहरों ने रूस के साथ लगी अपनी सीमा को बंद करने का फैसला किया है और विदेशी से लौटे सभी लोगों के लिए 28-दिन के अनिवार्य क्वारनटीन पीरियड को और बढ़ा दिया गया है. साथ ही न्यूक्लिक एसिड और एंटीबॉडी जांच भी जरूरी कर दी गई है.


 



जैसे-जैसे विदेश से लौटे नागरिक कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं, स्थानीय लोग असहज हो गए हैं. खबरें आ रही हैं कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन से बचने के लिए सीमावर्ती शहरों में रहने वाले परिवार पलायन कर रहे हैं.


पिछली बार चीन ने परिकेंद्र को क्वारेनटाइन करके अपने बाकी प्रांतों को सुरक्षित कर लिया था. लेकिन बाहर से आने वाले नागरिक तो देश के अलग अलग हिस्सों से हैं, जिससे मरीजों को ट्रैक करना और उन्हें क्वारनटाइन करना मुश्किल हो जाता है. दोबारा सामने आने वाले ये मामले चीन के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं.