कनाडाई सरकार भारत के साथ पंगे लेने से बाज नहीं आ रही है. अब कनाडा की सरकार ने खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोपी चार भारतीय नागरिकों के खिलाफ 'प्रत्यक्ष अभियोग' यानी डायरेक्ट इंडिक्टमेंट चलाने का फैसला किया है. जिसके बाद सरे राज्य की अदालत में कार्यवाही को रोक दिया गया है और मामला अब सीधे सुप्रीम कोर्ट में जाएगा. प्रत्यक्ष अभियोग का मतलब है कि मामला बिना किसी शुरुआत सुनवाई के सीधे मुकदमे में चला जाएगा. ऐसा होने से सीधे तौर पर आरोपी की मुश्किलों में इजाफा होता है, क्योंकि इस चरण के दौरान आरोपी को कई अहम मौके मिलते हैं. 


कब होते है प्रत्यक्ष अभियोग?


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इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक कनाडाई क्रिमिनल कोड के तहत प्रत्यक्ष अभियोग यानी Direct Indictment एक खास अधिकार है, लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत कम मामलों में किया जाता है. जब किसी आरोपी के खिलाफ ऐसा किया जाता है तो उसके वकीलों को अभियोजन पक्ष के वकीलों के साथ जिरह करने का मौका नहीं मिलता. यह कदम अक्सर तब उठाया जाता है जब जनता के पक्ष में ऐसा करना जरूरी हो. जैसे कि गवाहों, उनके परिवारों, या मुखबिरों की हिफाजत को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो. 


चार बार टली सुनवाई


निज्जर हत्या मामले के ये चारों आरोपी भारतीय हैं. जिनके नाम करण बराड़, अमनदीप सिंह, कमलप्रीत सिंह और करणप्रीत सिंह हैं. इन चारों आरोपियों को 21 नवंबर को सरे प्रांतीय अदालत में सुनवाई के लिए पेश होना था, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया है. उन्हें अब 11 फरवरी 2025 को पेश होना होगा. इन आरोपियों को इसी साल मई महीने में गिरफ्तार किया गया था. अधिकारियों का कहना है कि मुकदमा कब शुरू होने की उम्मीद है, इसके लिए कोई अस्थायी तारीख या समयसीमा नहीं है. 
आरोपियों की गिरफ़्तारी के बाद से मामले की सुनवाई पांच बार स्थगित की जा चुकी है. चारों पर प्रथम श्रेणी की हत्या और हत्या की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया है.


क्या है डायरेक्ट इंडिक्टमेंट?


कनाडा में डायरेक्ट इंडिक्टमेंट (Direct Indictment) एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत किसी व्यक्ति को आपराधिक मुकदमे का सामना करने के लिए सीधे उच्च न्यायालय (Superior Court) में भेजा जाता है, बिना प्रारंभिक सुनवाई के. यह प्रक्रिया आमतौर पर गंभीर अपराधों के मामलों में इस्तेमाल होती है और इसमें अभियोजन पक्ष को विशेष अधिकार दिया जाता है. दरअसल आमतौर पर क्रिमिनल मामलों में यह तय करने के लिए एक प्रारंभिक सुनवाई होती है कि मामला मुकदमे के लिए पर्याप्त आधार रखता है या नहीं. लेकिन डायरेक्ट इंडिक्टमेंट के तहत इस प्रक्रिया को खत्म कर दिया जाता है. डायरेक्ट इंडिक्टमेंट केवल तभी लागू हो सकता है जब कनाडा के अटॉर्नी जनरल या उनके प्रतिनिधि इसकी अनुमति देते हैं. 


डायरेक्ट इंडिक्टमेंट पर उठते हैं सवाल


डायरेक्ट इंडिक्टमेंट का मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को तेज करना है, खासकर उन मामलों में जहां देरी से न्याय बाधित हो सकता है. हालांकि यह प्रक्रिया कभी-कभी आरोपी के अधिकारों का उल्लंघन करने के रूप में देखी जाती है, क्योंकि प्रारंभिक सुनवाई आरोपी को बचाव तैयार करने में मदद कर सकती है. इसे अभियोजन पक्ष के लिए बहुत अधिक शक्तिशाली माना जा सकता है.