बीजिंग/इस्लामाबाद: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के बेड़े में लड़ाकू विमान रफाल (Rafale) शामिल होने से जहां चीन (China) बेचैन है, वहीं पाकिस्तान (Pakistan) घबराया हुआ है. दोनों अपनी इस बेचैनी और घबराहट को दूर करने के लिए उल्टे-सीधे बयान दे रहे हैं.


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भारत को फ्रांस से रक्षा सौदे के तहत पांच रफाल विमान मिले हैं. इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है. पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ का कहना है कि रफाल गेम चेंजर है और चीन का J-20 फाइटर प्लेन इसके आसपास भी नहीं ठहरता. चीन खुद भी इस बात को समझता है, और इसी बेचैनी में अब उसकी तरफ से ऐसी बयानबाजी की जा रही है जिसका कोई आधार नहीं.


चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि रफाल केवल थर्ड-प्लस जनरेशन का लड़ाकू विमान है और यह चौथी पीढ़ी के J-20 का मुकाबला नहीं कर सकता. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने सैन्य विशेषज्ञ Zhang Xuefeng  के हवाले से कहा है कि कुछ युद्ध प्रदर्शन क्षेत्रों में रफाल भारतीय वायुसेना के Su-30 MKI से बेहतर है, लेकिन यह केवल थर्ड-प्लस जनरेशन का लड़ाकू विमान है और इसलिए कोई ज्यादा बड़ा बदलाव पैदा नहीं करता’.  



वहीं, पाकिस्तान भारत पहुंचे रफाल विमानों से बुरी तरह डर गया है. अपने डर को दूर करने के लिए वह एशिया में हथियारों की होड़ की बातें कर रहा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों से कहीं ज्‍यादा हथियार जुटा रहा है, उसके इस कदम से दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है. इतना ही नहीं,  पाकिस्‍तान ने वैश्विक स्‍तर पर भी भारत को हथियार जमा करने से रोकने की अपील भी की है.


विदेश मंत्रालय की प्रवक्‍ता आयशा फारूकी ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा , ‘यह बेहद परेशान करने वाला है कि भारत अपनी ज़रूरतों से अधिक सैन्य साजो-सामान जमा कर रहा है. ऐसा करके वह दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है. भारत द्वारा क्षमता से अधिक हथियार जुटाना पाकिस्‍तान के लिए भी शुभ संकेत नहीं हैं. अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय को इस पर ध्‍यान देना चाहिए’.


अब आपको बता दें कि आखिर चीन की बेचैनी और पाकिस्तान के खौफ की वजह क्या है. दरअसल, रफाल कई खूबियों वाला लड़ाकू विमान है. यह मिटिऑर और स्काल्प मिसाइलों से लैस है जो हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता रखती हैं. रफाल की स्काल्प की रेंज करीब 300 किलोमीटर है. 2,223 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भरने वाले रफाल के राडार 100 किमी के भीतर एक बार में 40 टार्गेट का पता लगा लगा सकते हैं, जिससे दुश्मन के विमान को पता चले बिना भारतीय वायुसेना उन्हें देख पाएगी. एक साथ 40 टारगेट का पता लगाने की खासियत इस फाइटर जेट को दूसरों से और अलग बनाती है.