China ने तैयार की कमाल की Technology, 1 घंटे में घरती के 3 चक्कर लगा सकेंगे Super-Fast Jet
चीन ने तकनीक के मामले में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. उसने हाइपरसोनिक विमानों के परीक्षण के लिए दुनिया की सबसे एडवांस्ड टनल बना ली है.
बीजिंग: चीन (China) ने टेक्नॉलॉजी ( Technology) के क्षेत्र से जुड़ी एक ऐसी सफलता हासिल कर ली है, जो उसे पश्चिमी देशों से 30 साल आगे कर देगी. यह दावा किया है चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के रिसर्चर हान गुइलई ने. गुइलई का यह दावा भविष्य में उड़ने वाले हाइपरसोनिक विमानों (Hypersonic Flights) के परीक्षण के लिए हाइपरसोनिक टनल (Tunnel) बनाने को लेकर है. इस JF-22 टनल में विमानों का परीक्षण ध्वनि की गति से 30 गुना ज्यादा रफ्तार से किया जा सकेगा यानी कि 23,000 मील प्रति घंटा या 37,013 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से.
1 घंटे में धरती के 3 चक्कर लगा लेंगे सुपर-फास्ट जेट
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इस उपलब्धि को लेकर गुइलई ने बताया कि इस शोध के साथ चीन अमेरिका-यूरोप जैसी शक्तियों से लगभग 20 से 30 साल आगे निकल जाएगा. जबकि चीन के अलावा अमेरिका (US) और रूस (Russia) आदि देशों ने मिसाइलों सहित हाइपरसोनिक फ्लाइट टेक्नॉलॉजी को लेकर भारी-भरकम निवेश किया है. इस नई तकनीक से बने सुपर-फास्ट जेट एक घंटे में धरती के 3 चक्कर लगा लेगा क्योंकि धरती का व्यास 12,714 KM का है और इस विमान की गति 37,013 KM प्रति घंटा की है.
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अंतरिक्ष का सफर हो सकता है आसान
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाइपरसोनिक विमान की लागत में 90 प्रतिशत से अधिक की कटौती की जा सकती है. ऐसे आम लोगों के लिए भी अंतरिक्ष यात्रा पर जाना आसान हो सकता है. चीन की हाइपरसोनिक एजेंसी इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिक्स के साथ काम करने वाले गुइलई ने कहा कि इतनी गति से यात्रा करने वाला जेट 10,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है और हवा के अणुओं को परमाणुओं में तोड़ सकता है. इस विमान को इतना सक्षम बनाने के पीछे की वजह उस हवा में उड़ान भरना नहीं है, जिसमें हम सांस लेते हैं बल्कि यह कीचड़ में तैरने जैसा है.
बहुत पीछे है अमेरिका
अमेरिका की सबसे एडवांस्ड विंड टनल LENS II में फ्लाइट्स 30 मिलीसेकंड तक चलती हैं. जबकि चीन की JF-22 टनल में औसत फ्लाइट सिमुलेशन 130 मिलीसेकंड तक पहुंच सकता है. इस उपलब्धि को लेकर गुइलई ने कहा, 'चूंकि हमारे शोध का समय अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है, इसलिए हमारे विमान का मॉडल उनके मॉडल से बड़ा हो सकता है. साथ ही उनके मुकाबले अधिक उन्नत हो सकता है. यह दुनिया में हमारी अग्रणी स्थिति को निर्धारित करता है.'