ताइपे: चीन ने ताइवान की खाड़ी में अमेरिकी नेवी के गुजरने का विरोध किया है. चीन ने इसे अमेरिका की दादागीरी बताया है और कहा है कि इससे इलाके में अशांति और अस्थिरता बढ़ेगी. बता दें कि चीन शुरू से ही ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है. जबकि, ताइवान अपने आप को एक अलग देश मानता है और दुनिया के देशों का रुख भी अलग अलग ही है.


क्या है ताइवान की खाड़ी का मामला? 


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साउथ चाइना सी के साथ लगी ताइवान की खाड़ी का 110 मील हिस्से को अंतरराष्ट्रीय जलसीमा का क्षेत्र माना जाता है. लेकिन चीन इसपर अपना दावा जताता है. चीन के इस दावे को अमेरिका लगातार चुनौती देता रहा है. इसी कड़ी में वो बार बार अपनी नेवी की सातवीं फ्लीट में शामिल युद्धपोतों को ताइवान की खाड़ी से होकर गुजारता है.


यूएसएस रसेल ने मारा ताइवान की खाड़ी का चक्कर


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ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार अमरीकी युद्धपोत ताइवान साउथ चाइना सी में नियमित गश्त के लिए आया था. मंत्रालय के अनुसार ताइवान के सशस्त्र बलों ने जहाज को पूरी सुरक्षा प्रदान की. इस पोत का नाम Arleigh Burke-Class Destroyer यूएसएस रसेल है. ये अक्सर ताइवान के साथ मिलकर गश्त लगाता है.


चीन-ताइवान में बढ़ता जा रहा तनाव


चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है. चीन इसको काबू में करने के लिए तरह—तरह के हथकंडे अपनाता रहा है. यहां की सरकार सेना के इस्तेमाल पर भी जोर देती आई है. ताइवान के पास अपनी खुद की सेना भी है. इसे अमेरिका का समर्थन भी प्राप्त है. ताइवान में जबसे डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में आई है तबसे चीन के साथ उसके रिश्ते बिगड़े हैं. यही नहीं, ताइवान लगातार अमेरिका से हथियार भी खरीद रहा है. वहीं, हाल के दिनों में कई बार चीनी एयरफोर्स ने ताइवान के इलाके घुसपैठ भी की है.