बीजिंग : चीन ने रविवार को कहा कि दलाई लामा अवतार प्रक्रिया के जरिए अपने उत्तराधिकारी की पुष्टि करने के उसके अधिकार से इनकार नहीं कर सकते हैं। वहीं सरकार ने तिब्बत में व्यापक स्वायतत्ता की उनकी मांग की निंदा करते हुए इसे संवेदनशील हिमालयी राज्य की प्रगति में अवरोध बताया है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) तिब्बत स्वायत्त क्षेत्रीय समिति के सदस्य नोरबू दोनदुप ने बताया कि यह मायने नहीं रखता कि दलाई लामा क्या कहते या करते हैं। वह नये अवतार की केंद्र सरकार के पुष्टि करने के अधिकार से इनकार नहीं कर सकते।


उन्होंने बताया कि 2007 में धार्मिक मामलों के राजकीय प्रशासन ने एक दस्तावेज जारी कर स्पष्ट रूप से इस सिलसिले में मौजूदा नियमों का जिक्र किया था।


अधिकारी ने न्यूयार्क टाइम्स से दलाईलामा के एक साक्षात्कार पर प्रतिक्रिया में यह बात कही। दलाई ने कहा था कि सीपीसी का मानना है कि उन्हें अवतार प्रणाली की कहीं अधिकारी जानकारी है। दोनदुप ने 1995 में वसीयत में पंचेन लामा को नामित कर ऐतिहासिक संधियों का उल्लंघन करने का भी दलाई लामा पर आरोप लगाया।


चीन ने इस कार्य को अवैध और अमान्य करार देते हुए खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि दलाई लामा द्वारा नामित यह तथाकथित लड़का फिलहाल शिक्षा प्राप्त कर रहा और सामान्य जीवन जी रहा। वह परेशान किया जाना नहीं चाहता।


वहीं, चीन ने अपना खुद का उत्तराधिकारी नामित किया है जिसका नाम ज्ञानसेन नोरबू है और वह 25 साल का है। वह चीन सरकार की मदद से आध्यात्मिक प्रभुत्व कायम करना चाहता है। इस बीच, चीन सरकार ने आज एक श्वेत पत्र जारी कर दलाई लामा के व्यापक स्वायत्ता की मांग की निंदा करते हुए इसे प्रगति में अवरोध बताया।


पत्र में कहा गया है कि दलाई समूह के अलगाववादी गतिवधियों ने चीन के संविधान का उल्लंघन किया है और तिब्बत में सभी जातीय समूहों के मूलभूत हितों को नुकसान पहुंचाया है।