बीजिंग: चीन ने गुरुवार (14 सितंबर) को उम्मीद जतायी कि भारत और जापान के बीच बढ़ते संबंध शांति एवं स्थिरता के लिए सहायक होंगे और साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि क्षेत्र में देशों को गठजोड़ बनाने की बजाय साझेदारी के वास्ते काम करना चाहिए. चीन के विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान भारत और जापान ने अपने नजदीकी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का प्रयास किया है.


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भारत और जापान ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को व्यापक आधार प्रदान करने के लिए 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की जहां चीन अपनी आक्रामकता बढ़ा रहा है. भारत-जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘‘हम इसकी पैरवी करते हैं कि देशों को टकराव के बिना संवाद के लिए खड़े होना चाहिए और गठजोड़ की बजाय साझेदारी के लिए काम करना चाहिए.’’ 


हुआ आबे की भारत यात्रा के बारे में एक सवाल का उत्तर दे रही थीं. उन्होंने यद्यपि भारत को यूएस..2 एंफीबियस विमान बेचने की जापान की योजना जैसे विशिष्ट मुद्दों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक के बाद दोनों देशों की ओर से विस्तृत बयान जारी होने का इंतजार करना चाहेंगी.


जापान की भारत को ऐसे एंफीबियस विमान बेचने की योजना पर यहां भौंहें तन गईं हैं क्योंकि यह जापान की ओर से किसी अन्य देश को रक्षा उपकरण बेचने का पहला ऐसा कदम है. इसके साथ ही भारत में जापान को पहली बुलेट ट्रेन परियोजना मिलने को लेकर भी चीन चिंतित है जो कि अहमदाबाद और मुम्बई के बीच बनेगी.


चीन भी भारत में हाईस्पीड रेल परियोजनाएं हासिल करने की दौड़ में है, विशेष रूप से नयी दिल्ली-चेन्नई के बीच. इसके साथ ही पूर्वी चीन सागर में द्वीपों को लेकर भी चीन और जापान में लंबे समय से विवाद है. हुआ ने कहा कि चीन क्षेत्र के देशों के बीच संबंधों के सामान्य विकास का तब तक स्वागत करेगा जब तक वह क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए अनुकूल होगा.


उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि संबंध क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए अनुकूल होगा और इस संबंध में एक रचनात्मक भूमिका निभाएगा.’ आबे की भारत यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीन के थिंकटैंकों ने कहा कि ‘फ्रीडम कॉरिडोर’ के साथ ही भारत और जापान द्वारा विभिन्न देशों में संयुक्त रूप से आधारभूत परियोजनाएं शुरू करने को दोनों देशों द्वारा चीन की महत्वाकांक्षी अरबों डालर की लागत वाले ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के खिलाफ एक रणनीतिक जवाब के तौर देखा जा रहा है. भारत-जापान पहल ‘फ्रीडम कॉरिडोर’ एशिया-प्रशांत से अफ्रीका तक विस्तारित है और इसका उद्देश्य क्षेत्र में स्थिरता प्रदान करना है.


शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेस के इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल रिलेशंस में रिसर्च फेलो हू झियोंग ने कहा, ‘फ्रीडम कॉरिडोर को चीन के बीआरआई के जवाब में डिजाइन किया गया है और आबे तथा मोदी के बीच वार्ता में इसके प्रमुख रूप से छाये रखने की उम्मीद है.’ वहीं यूनीवर्सिटी आफ इंटरनेशनल रिलेशंस में एसोसिएट प्रोफेसर चू इन ने कहा कि जापान-भारत पहल केवल एक शुरुआत है. इसके बीआरआई जैसे स्तर पर पहुंचने की उम्मीद नहीं है.


चीनी विश्लेषकों ने इस खबर का भी उल्लेख किया कि भारत और जापान अफ्रीका, ईरान, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में कई आधारभूत परियोजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं. इसे चीन के उसे यूरोप एवं अफ्रीका से जोड़ने वाली एकीकृत आधारभूत पहलों का जवाब माना जा रहा है.


चीन ने भारत-जापान रेल सहयोग पर जताई थी खुशी 


इससे पहले भारत में जापान के सहयोग से पहली बुलेट ट्रेन शुरू करने की पहल पर चीन ने बुधवार (13 सितंबर) को कहा था कि वह इस विकास से खुश है और वह खुद नई दिल्ली के साथ रेलवे सहित ऐसे बुनियादी ढांचों के निर्माण में सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था, "चीन क्षेत्रीय देशों के बीच रेलवे सहित अन्य बुनियादी ढांचों के निर्माण में उच्चस्तरीय सहयोग से खुश है."


उन्होंने कहा, "हम क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत और अन्य क्षेत्रीय देशों के साथ सहयोग को तैयार हैं. रेलवे में सहयोग पर मैं आपको बता सकता हूं कि यह चीन और भारत के बीच राजनीतिक सहयोग का हिस्सा है." गेंग ने कहा, "इस संबंध में हम महत्वपूर्ण आम सहमति पर पहुंच गए हैं. मेरी जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के सक्षम अधिकारियों ने मौजूदा परियोजनाओं में रेल की गति बढ़ाने व प्रचार-प्रसार में मदद के मुद्दे पर चर्चा की है." चीन के विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के बीच आई है. आबे बुधवार (13 सितंबर) से दो दिन के लिए भारत यात्रा पर हैं.


मोदी-आबे ने रखी बुलेट ट्रेन की आधारशिला: 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने गुरुवार (14 सितंबर) को 1.08 लाख करोड़ रुपये (17 अरब डॉलर) की लागत वाली महत्वाकांक्षी अहमदाबाद-मुंबईउच्च गति रेल परियोजना की आधारशिला रखी. इस दौरान मोदी और आबे के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल, रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, गुजरात के राज्यपाल ओ.पी. कोहली, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी उपस्थित थे.


मोदी और आबे ने वडोदरा हाई स्पीड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की भी नींव रखी. इस परियोजना के 2022 तक पूर होने की उम्मीद है. इस परियोजना में लगने वाले 1.08 करोड़ रुपये में से जापान 50 वर्षों तक 0.1 प्रतिशत के न्यूनतम ब्याज पर भारत को 88,000 करोड़ रुपये का ऋण देगा, जिसका पुनर्भुगतान 15 वर्षों के बाद शुरू होगा.