कोरोना: जापान में फंसे भारतीयों ने PM मोदी से लगाई मदद की गुहार, इलाज ना होने से बढ़ीं मुसीबतें
कोरोना (Coronavirus) का कहर दुनियाभर में जारी है. इस बीच कई लोग अलग-अलग देशों में फंस गए हैं.
नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) का कहर दुनियाभर में जारी है. इस बीच कई लोग अलग-अलग देशों में फंस गए हैं. कोरोना वायरस महामारी के चलते जापान में फंसे भारतीय छात्रों और कर्मचारियों के लिए मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं.
एक ओर जहां लॉकडाउन के कारण वो वतन वापस नहीं आ पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भूकंप और सुनामी भी परेशानियां बढ़ा रही हैं. दरअसल सोमवार को भी जापान के पूर्वी तट के निकट 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था.
साथ ही, भूकंप और सुनामी पर काम करने वाले एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले दिनों में रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता का भूकंप आ सकता है, जो काफी भयावह होगा. ऐसे में कोरोना वायरस और भूकंप के झटकों से दोहरी मार झेल रहे जापान में फंसे भारतीय, वीडियो संदेश के जरिए भारत सरकार से लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी भी मदद का इंतजार है.
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जापान में इस समय करीब ढाई हजार छात्र और कर्मचारी फंसे हुए हैं. जापान के टोक्यो शहर में फंसे कमल विजयवर्गीय ने मंगलवार को वीडियो संदेश जारी कर बताया कि, 'मैं 18 मार्च को सिर्फ चार दिनों के लिए यहां आया था. अचानक लगे लॉकडाउन के कारण भारत नहीं लौट पा रहा हूं. यहां की स्थिति दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा भयावह है. यहां कोविड-19 के मरीजों की संख्या 13,500 से ज्यादा है और अस्पतालों में बेड भर चुके हैं.'
उन्होंने बताया, 'अस्पतालों में जापानी मरीजों को ही एडमिट किया जा रहा है, ऐसे में भारतीयों के लिए यहां इलाज करवाना बहुत मुश्किल है. ऊपर से यहां लगातार भूकंप भी आ रहा है. पिछले एक सप्ताह में छोटे-बड़े करीब 11 भूकंप के झटके आ चुके हैं. एक तो कोविड-19 से परेशान हैं, ऊपर से भूकंप के कारण यहां जितने भी भारतीय हैं, डरे हुए हैं. इन्होंने सोशल मीडिया के जरिए भारत सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय, जापान में इंडियन एंबेसी से भी संपर्क किया है, लेकिन अभी भी कोई मदद नहीं मिली है.'
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जयपुर के रहने वाले कमल विजयवर्गीय के मुताबिक, वो एक निजी कंपनी के काम से जापान गए थे और उनको 27 मार्च को वापस आना था लेकिन उनकी वापसी की फ्लाइट कैंसल कर दी गई. जयपुर में उनकी पत्नी श्वेता विजयवर्गीय और बच्चे परेशान हैं. गौरतलब है कि जापान में वर्ष 2011 में 9.0 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद भयानक सुनामी आई थी और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से विकिरण रिसाव हुआ था. इस दौरान करीब 16,000 लोगों की मौत हो गई थी.