वाशिंगटन: कोरोना महामारी (Coronavirus) को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जुबानी जंग जारी है. दोनों एक दूसरे को गलत करार देने में लगे हैं. जहां अमेरिका का कहना है कि चीन ने सही वक्त पर वायरस की जानकारी दुनिया को नहीं दी, जिसके चलते कोरोना महामारी बन गया. वहीं, चीन का कहना है कि अमेरिका अपनी अक्षमता छिपाने के लिए उसका नाम उछाल रहा है. दोनों देशों की इस जंग में अब जनता भी शामिल हो गई है या यूं कहें कि उसने इस लड़ाई को ट्रेड वॉर में तब्दील करने की शुरुआत कर दी है.     


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डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) के बड़े डेटा प्लेटफॉर्म dDDIG के हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि 41 फीसदी अमेरिकी अब ‘मेड इन चाइना’ उत्पाद नहीं खरीदेंगे और इसी तरह चीन के 35 फीसदी लोगों ने अमेरिका निर्मित उत्पाद न खरीदने का फैसला लिया है. भले ही अधिकांश उपभोक्ता एक-दूसरे के उत्पादों को पूरी तरह बंद करने लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन सर्वेक्षण के परिणाम स्वदेशी वस्तुओं की तरफ बढ़ते रुझान का संकेत देते हैं.  


वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन को बार-बार इसलिए निशाना बना रहे हैं, ताकि वह कोरोना महामारी से हुए जान-माल के नुकसान से लोगों का ध्यान भटका सकें. उनकी यह कोशिश अगले छह महीनों के भीतर होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर है. 


गौरतलब है कि कोरोना ने अमेरिका में भारी तबाही मचाई है. पिछले 24 घंटों में ही यहां 1500 के आसपास मौतें हुई हैं. ये आंकड़ा बीते कुछ दिनों में सबसे ज्यादा बताया जा रहा है. इसी के साथ अमेरिका में मरने वालों की कुल संख्या 91 हजार के पार हो गई है. जबकि 15 लाख के आसपास संक्रमण के मामले दर्ज किये गए हैं. 


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