Depression in Syria: भारतीय संस्कृति में युद्ध को किसी भी समस्या के समाधान का आखिरी उपाय माना गया है. यही वजह है कि भारत किसी भी तरह की जंग की पहल करने से हमेशा बचता रहा है. लेकिन लगता है कि यह बात सीरिया जैसे देशों को मालूम नहीं है. पिछले कई सालों से विदेश प्रायोजित गृह युद्ध से जूझ रहे इस देश को युद्ध की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है, जितना उसने पहले कभी सोचा भी नहीं था. एक रिपोर्ट के मुताबिक गृह युद्ध की वजह से वहां की एक तिहाई आबादी विक्लांग हो चुकी है और अब पूरा देश अंधकारमय नजर आ रहा है. 


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एक दशक से जारी है गृह युद्ध


संयुक्त राष्ट्र की वर्ष 2021 में जारी की गई रिपोर्ट के मिुताबिक पिछले करीब एक दशक से गृहयुद्ध (Syria Civil War) में फंसे सीरिया की 28 प्रतिशत आबादी अब अपंग हो चुकी है. इनमें बच्चों, महिलाओं और युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा है. विक्लांगता की सबसे ज्यादा संख्या पूर्वोत्तर सीरिया के उन इलाकों में है, जहां पर राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोधी लड़ाकों ने कब्जा कर रखा है. 


इन लड़ाकों को अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों का खुला समर्थन हासिल है. इन देशों की ओर से उन्हें भारी फंड और हथियार मुहैया करवाए जा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल वे सीरिया की सरकारी सेना, पुलिस दूसरे इलाकों पर हमला करने में कर रहे हैं. वहीं बशर अल असद (Bashar al-Assad) को रूस और ईरान का खुला समर्थन हासिल है. इन देशों से मिले हथियारों की मदद से सीरियाई सेना विद्रोहियों पर नियमित हमला करती रहती है. 


देश की 37 प्रतिशत जनता हुई विक्लांग


संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वोत्तर सीरिया की करीब 37% जनता किसी न किसी प्रकार की विकलांगता (Disability in Syria) से पीड़ित है. यह प्रतिशत दुनिया के 15 प्रतिशत वैश्विक औसत के दोगुने से भी ज्यादा है. वहीं सीरिया में राहत कार्यों में जुटे कई सहायता संगठनों का कहना है कि वहां पर विकलांग लोगों की वास्तविक संख्या संयुक्त राष्ट्र के सर्वे से भी ज्यादा है. 


ह्यूमन राइट्स वॉच की रिसर्चरएमिना सेरीमोविक के मुताबिक सीरिया में लोगों के इतनी बड़ी संख्या में विक्लांग (Disability in Syria) होने के पीछे 3 बड़ी वजहें हैं. इनमें वहां पर चल रहा गृह युद्ध, उचित इलाज की कमी और भूकंप जैसी आपदाएं शामिल हैं. कई ऐसे मामले रहे हैं, जिनमें अगर तुरंत इलाज मिल जाता तो कई बच्चों और जवानों को विक्लांग होने से बचाया जा सकता था. 


लोगों में भरती जा रही है गहरी निराशा


रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया में विकलांगता (Disability in Syria) इस हद तक बढ़ गई है कि अब वहां पर यह कोई मुद्दा ही नहीं रहा है. वहां पर आपको हर 3 में एक व्यक्ति विक्लांग दिख जाएगा. आप खुले में निकल जाएं तो आसानी से एक पैर, एक आंख या कटे हाथ वाले लोग आसानी से देख सकते हैं. देश में विक्लांग लोगों की बढ़ती संख्या का असर उनके मानसिक स्तर पर भी पड़ रहा है. अपने भविष्य को अंधकारमय जानकर देश की बड़ी आबादी निराशा में जा रही है. दूसरे शब्दों में कहें तो अब सीरिया का भविष्य भी अपाहिजपन का शिकार हो चुका है.