काहिरा: मिस्र की एक अदालत ने अपदस्थ राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी की आजीवन कारावास की सजा को शनिवार (16 सितंबर) को बरकरार रखा. मुर्सी को कतर जासूसी मामले के लिए जाना जाता है. सरकारी समाचार एजेंसी एमईएनए ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मिस्र की शीर्ष अपीलीय अदालत द कोर्ट ऑफ कैसेशन ने पूर्व राष्ट्रपति की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि यह आदेश ‘‘अंतिम है और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती ’’ है. अदालत ने इसी मामले में मुस्लिम ब्रदरहुड के तीन सदस्यों की मौत की सजा की भी पुष्टि की. मिस्र में आजीवन कारावास की सजा 25 वर्षों की जेल है.


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गोपनीय दस्तावेजों को कतर को लीक करने के लिए अपने पद का इस्तेमाल करने और अल-जजीरा चैनल को इन्हें बेचने का दोषी पाये जाने के बाद जून 2016 में मुर्सी को यह सजा सुनायी गयी थीं. इन दस्तावेजों में कथित रूप से सैन्य खुफिया ,सशस्त्र बलों और राष्ट्र नीति से जुड़ी खुफिया जानकारी शामिल थीं जिनके लीक होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता था. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में राष्ट्रपति भवन इत्तिहादेया के निकट हिंसा को भड़काने में शामिल होने के लिए इसी अदालत ने पिछले अक्टूबर में मुर्सी की 20 वर्ष की सजा की पुष्टि की थी. 


समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मिस्र की सर्वोच्च अपील अदालत, कोर्ट ऑफ कैसेशन ने कहा कि मोरसी के खिलाफ फैसला अंतिम है और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है. अभियुक्तों पर कतर को सशस्त्र बलों के बारे में वर्गीकृत दस्तावेज देने का आरोप लगाया गया था. यह दस्तावेज मिस्र की राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकते थे.