France First Gay Prime Minister: फ्रांस को पहला गे प्राइम मिनिस्टर मिल सकता है. 62 साल की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न के इस्तीफे के बाद 34 साल के शिक्षा मंत्री गैब्रिएल अटाल (Gabriel Attal) को रेस में सबसे आगे माना जा रहा है. पीएम के लिए वह राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पहली पसंद भी बताए जा रहे हैं. अगर वह पीएम बनते हैं तो फ्रांस के सबसे युवा और घोषित रूप से पहले गे प्रधानमंत्री होंगे. हालांकि उनके अलावा 37 साल के रक्षा मामलों के मंत्री सबेस्टियन लीकार्नू और पूर्व कृषि मंत्री जूलियन डिनॉरमेंडी का नाम भी चर्चा में है. अगले कुछ घंटों में नए प्रधानमंत्री की घोषणा होने वाली है. 


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युवा हाथों में देश की कमान


कम उम्र के बावजूद अटाल टेक्नोक्रेटिक बोर्न की तुलना में कहीं ज्यादा राजनीतिक हैं. कई सर्वेक्षणों में उन्हें सबसे लोकप्रिय सरकार के मंत्रियों में से एक बताया गया है. अगर उन्हें नामित किया जाता है तो वह यूरोपीय चुनावों से पहले फ्रांस की राजनीति में एक नए सितारे के तौर पर उभरेंगे. दिलचस्प यह है कि उनसे भी कम उम्र के जॉर्डन बार्डेला (28) इस समय धुर दक्षिणपंथी RN पार्टी के नेता हैं. दोनों के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है. नए पीएम 2017 से मैक्रों के कार्यकाल के दौरान आए चौथे प्रधानमंत्री होंगे. 


कौन हैं Gabriel Attal


  • मार्च 1989 में जन्मे युवा फ्रेंच नेता अटाल इस समय शिक्षा और युवा मामलों के मंत्रालय देख रहे हैं.

  • इससे पहले वह करीब दो साल तक सरकार के प्रवक्ता भी रहे.

  • उन्हें 32 साल की उम्र में मंत्री बनाया गया था.

  • उनके पिता यहूदी मूल के बताए जाते हैं जबकि मां के पूर्वज ग्रीक-रूसी थे.

  • पिता वकील और फिल्म निर्माता थे. मां एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में काम करती थीं. 

  • वह घोषित तौर पर गे (Gay) हैं और यूरोपीय संसद के सदस्य, फ्रेंच वकील के साथ सिविल यूनियन में रहते हैं.

  • सिविल यूनियन एक तरह की कानूनी व्यवस्था होती है जिसके तहत फ्रांस में सेम-सेक्स कपल रहते हैं. 


फ्रांस के राजनीतिक हालात


उधर, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री बोर्न का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. बोर्न दो साल से भी कम इस पोस्ट पर रहीं. वह देश की दूसरी महिला प्रधानमंत्री थीं. उनका इस्तीफा ऐसे समय में हुआ है जब चुनाव कुछ महीने बाद होने हैं और अटकलें लगाई जा रही हैं कि राष्ट्रपति मैक्रों अपनी टीम में भारी फेरबदल कर सकते हैं. अभी उनके कार्यकाल में तीन साल बचे हैं लेकिन कई विवादास्पद नीतियों और विरोध प्रदर्शन के चलते मैक्रों अपनी सरकार के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित कर लेना चाहते हैं. एक साल में फ्रांस पर दुनिया की नजरें होंगी जब यहां ओलंपिक गेम्स कराए जाएंगे. 


कुछ विदेशियों को स्वदेश भेजने को लेकर सरकार की शक्तियां बढ़ाने संबंधी विवादास्पद कानून आदि पर राजनीतिक तनातनी काफी बढ़ गई थी. बोर्न के इस्तीफे की यह भी एक वजह मानी जा रही है. फ्रांस का सिस्टम कुछ ऐसा है जिसमें राष्ट्रपति आम नीतियां तय करते हैं और प्रधानमंत्री के पास सरकार के रोजाना के कामकाज देखने की जिम्मेदारी होती है. ऐसे में अगर प्रशासन में कोई उथल-पुथल होती है या विरोध होता है तो पीएम को ही कुर्सी छोड़नी पड़ती है.