Sudan के लिए अभिशाप बनीं सोने की खानें, आमने-सामने हैं दो जनरल; ये है गृह युद्ध की पूरी ABCD
Army और अर्धसैनिक के बीच जारी गृह युद्ध में न सिर्फ पूरा देश पिस रहा है बल्कि वहां रह रहे विदेशी नागरिकों की जान भी मुश्किल में पड़ गई है. हालात ऐसे हैं कि कई देश अपने नागरिकों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं. भारत भी अबतक अपने 534 नागरिकों को वहां से निकाल चुका है.
Sudan News: अफ्रीकी देश सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल एक-दूसरे की खून के प्यासे हो चुके हैं और बीते करीब 10 दिनों से एक-दूसरे से ही युद्ध लड़ रहे हैं. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण दोनों सैन्य बलों ने 72 घंटे के युद्धविराम का ऐलान कर दिया है. ये युद्धविराम इसीलिए लागू हुआ है ताकि सूडान में फंसे दूसरे देश के नागरिक देश छोड़ दें.
मतलब 72 घंटे बाद सूडान में फिर से भीषण बमबारी शुरू होने वाली है. सूडान में गृह युद्ध के पीछे जिम्मेदार हैं सूडान के आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान जो वहां के राष्ट्रपति भी हैं और अर्धसैनिक बल 'रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स' RSF के मुखिया मोहम्मद हमदान दगालो जिन्हें हेमेदती के नाम से भी जाना जाता है.
सोने की खानें बनीं मुसीबत
दरअसल, सूडान के लिए सोने की खानें अभिशाप बन गई है. सेना और अर्धसैनिक के बीच जारी गृह युद्ध में न सिर्फ पूरा देश पिस रहा है बल्कि वहां रह रहे विदेशी नागरिकों की जान भी मुश्किल में पड़ गई है. हालात ऐसे हैं कि कई देश अपने नागरिकों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं. भारत भी अबतक अपने 534 नागरिकों को वहां से निकाल चुका है.
सूडान में 2 जनरल सोने की खानों पर कब्जे को लेकर आमने-सामने हैं. लड़ाई ऐसी हो रही है कि दोनों पक्षों के समर्थकों की जान जा रही है. गोल्ड माइंस पर कब्जे को लेकर लड़ाई हो रही है. अफ्रीका महादेश में सूडान में सबसे ज्यादा सोना मिलता है. यही सोना अब उसके लिए काम बन गया है.
ये गृह युद्ध की असल वजह
सूडान के गृह युद्ध की असल वजह आपको समझाते हैं. सूडान में एक अनुमान के मुताबिक 40 हजार जगहों पर गोल्ड माइनिंग होती है. यहां के 13 राज्यों में गोल्ड माइनिंग की 60 कंपनियां काम करती हैं. वर्ष 2022 में सोने के निर्यात से सूडान को 2.5 अरब डॉलर की आमदनी हुई लेकिन अब यही सोना यहां जंग की वजह बन गया है. सोना उत्पादन पर नियंत्रण के लिए जंग चल रही है. हालांकि मौजूदा समय में गोल्ड माइन्स पर अर्धसैनिक बलों का दबदबा है.
दोनों जनरलों के बीच झगड़ा कैसे शुरू हुआ ये भी जान लीजिए...
- 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया.
- अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर देश में तख्तापलट कर दिया.
- 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में सैन्य शासन हो गया.
- तब आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति बने और अर्धसैनिक बल RSF लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए.
सत्ता हासिल करने के बाद दोनों सैन्य अधिकारियों के बीच झगड़ा बढ़ गया.जो आज की तारीख में युद्ध के रूप में बदल गया है. दोनों के बीच असली संघर्ष की वजह सत्ता नहीं बल्कि सोना है. पूरे अफ़्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में ही है.
- आंकड़ों के मुताबिक सूडान में 4000 से ज्यादा सोने की खदान हैं.
- 13 प्रांतों में सोने की खदानें फैली हुई हैं जिसकी वजह से सूडान दुनिया का 10वां सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है.
देश के सबसे मुनाफ़े वाली सोने की खदानों पर अर्धसैनिक बल RSF के मुखिया हेमेदती का कब्जा है. हेमेदती सोने को सूडान सरकार को ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों को भी बेचते हैं. सोने की कमाई से ही हेमेदती अपने सुरक्षाबलों को हथियार और गोला बारूद मुहैया कराते हैं. पिछले साल दिसंबर में ये सहमति बनी थी कि खदानों से निकलने वाला सोना चुनी हुई सरकार को दे दिया जाएगा. लेकिन खदान पर अपने नियंत्रण खोने के डर से हेमेदती ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था. अब सेना चाहती है कि किसी तरह से सोने के खदानों से हेमेदती का कब्जा हट जाए और हेमेदती ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते और इसी का खामियाजा सूडान की जनता को भुगतना पड़ रहा है.