पाकिस्तान को पीटने पर अफगान टीम ने जिस झंडे को किया सजदा उसे मानता भी नहीं है तालिबान चीफ हिबतुल्लाह अखुंदजादा
Afghanistan News: अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल की सत्ता पर फिर से कब्जा कर लिया और एक नए झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया. हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का तिरंगे झंडे को मान्यता प्राप्त है.
Afghanistan National Flag: अफगानिस्तान की टीम ने सोमवार को पाकिस्तान को हराकर विश्व कप 2023 में दूसरा बड़ा उल्टफेर किया है. चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में अफगान टीम की जीत के साथ ही अफगानिस्तान के समर्थक अपने देश के झंडे स्टेडियम में लहराने लगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस झंडे को अफगानिस्तान की टीम सलाम करती है उसे तालिबान चीफ हिबतुल्लाह अखुंदजादा राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार ही नहीं करता है.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का तिरंगे झंडे को मान्यता प्राप्त है. इस झंडे में काले, लाल और हरे रंग की तीन वर्टिकल धारियां होती हैं. झंडे के केंद्र में सफेद रंग का राष्ट्रीय प्रतीक होता है. अफगान क्रिकेट टीम इसी झंडे के तहत खेलती है.
तालिबना ने अपनाया अलग झंडा
अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल की सत्ता पर फिर से कब्जा कर लिया और एक नए झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया. यह एक सफेद रंग का झंडा है जिसमें ब्लैक कलर से शाहदा अंकित हैं.
तालिबान के झंडे का अर्थ
झंडे में सफेद रंग का अर्थ है '(तालिबान के इस्लामी आंदोलन का) विश्वास और सरकार की शुद्धता.' वहीं शहादा, आस्था की इस्लामी घोषणा है जिसे 1997 के बाद ध्वज में शामिल किया गया था. इस झंडे को तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया.
तालिबान द्वारा अपनाया गया राष्ट्रीय ध्यज अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट सहित अन्य जिहादी ग्रुप्स के बैनरों से इस मायने में अलग है, कि इसका मुख्य रंग सफेद है और शाहदा काला है, जो कि अधिकांश जिहादी समूहों के कलरह डिजाइन का उलटा है.
तालिबान ने अपने झंडे के लिए जारी किया फरमान
तालिबान ने सभी आधिकारिक सेटिंग्स में इस्लामिक अमीरात के झंडे का इस्तेमाल करने का फरमान जारी किया होगा.
18 और 19 अगस्त 2021 को जलालाबाद और अन्य शहरों में अफगान स्वतंत्रता दिवस रैलियों के दौरान, लोगों द्वारा तालिबान का झंडा इस्तेमाल न कर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान तिरंगा इस्तेमाल करने के लिए तीन लोगों की हत्या कर दी गई जबकि कई लोगों को घायल कर दिया ग.
बता दें 1919 के एंग्लो-अफगान युद्ध के बाद से, अफगानिस्तान ने लगभग 19 राष्ट्रीय झंडों का इस्तेमाल किया है जो इस अवधि में किसी भी अन्य देश से अधिक है.