Indian Ministry of External Affairs : भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान सामने आया है. बयान में कहा गया है, कि 10 जनवरी 2024 को ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के साथ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यात्रा को भारत ने गंभीरता से लिया है. जेन मैरियट का यह कदम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है.


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विदेश सचिव ने इस पर भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है. दरअसल, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ब्रिटेन दौरे पर हैं. उन्होंने बुधवार (10 जनवरी) को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ उनके PM हाउस 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मुलाकात की थी. उसी वक्त पाकिस्तान में मौजूद ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरियट ने भी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद मीरपुर का दौरा किया. 


PoK के दौरे पर उठे सवाल


ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरियट के PoK के दौरे के बाद कई तरह से सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई में ब्रिटिश उच्चायुक्त ने अपनी मर्जी से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के हिस्से का दौरा किया, या फिर इस दौरे के पीछे ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक सरकार की मंजूरी मिली थी, जो खुद ब्रिटेन के इतिहास में पहले हिंदू प्रधानमंत्री है. दुनिया के किसी भी देश के राजनयिकों को PoK के दौरे पर जाना विवादास्पद माना जाता है. 


 


भारत हमेशा से कड़े शब्दों में कह चुका है पाकिस्तान अवैध रूप से कश्मीर पर कब्जा किए हुए है. ऐसे में ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरियट ने PoK का दौरा ऐसे वक्त किया, जब भारत के रक्षा मंत्री ब्रिटेन के दौरे पर गए हुए थे. इस दौरान मैरियट ने कई सरकारी अधिकारियों से मुलाकात भी की थी. मैरियट का कहना है, कि 70% ब्रिटिश पाकिस्तानी जड़ें मीरपुर से हैं, इसलिए प्रवासियों के हितों के साथ मिलकर काम करना उनके लिए महत्वपूर्ण था. 


 


ब्रिटिश राजदूत के खिलाफ कार्रवाई की मांग
सोशल मीडिया पर ब्रिटिश राजदूत के खिलाफ भारतीयों में जमकर गुस्सा फूटा है. काफी संख्या में यूजर्स ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से जेन मैरियट के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है. वहीं इस मामले पर भारत ने ब्रिटेन के सामने इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए इसे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ घोर उल्लंघन करार दिया है. बता दें कि इसी तरह की एक घटना अक्टूबर 2023 में हुई थी, जब पाकिस्तान में अमेरिकी दूत डेविड ब्लोम ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान का दौरा किया था. तब भी, केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को अमेरिकी अधिकारियों के सामने उठाया और दोहराया कि जम्मू और कश्मीर का पूरा क्षेत्र "भारत का अभिन्न अंग" है.