India Russia News in Hindi: अब हम पुतिन की उस ट्रेन की बात करेंगे जो रूस से सीधे भारत आ रही है. कल हमने आपको बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉस्को जा रहे हैं और आज रूस से कोयले लेकर ट्रेनों के भारत आने की खबर आई है. रूस के साइबेरिया इलाके से ईरान होते हुए दो ट्रेनें मुंबई के लिये आ रही हैं. ये पहला मौका है, जब इतनी लंबी यात्रा करके रूस से कोई ट्रेन भारत पहुंचेगी. ये जिस रूट का इस्तेमाल करेंगी उसका नाम है इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर यानी INSTC. अब आपको इस रास्ते का अंतरराष्ट्रीय महत्व बताते हैं.


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करीब 7200 किमी लंबा है INSTC प्रोजेक्ट


INSTC करीब 7200 किलोमीटर लंबा एक मल्टी मोड नेटवर्क है यानी इसमें रेल, रोड और समुद्री रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है. ये भारत को सेंट्रल एशिया होते हुए सीधे रूस से कनेक्ट करता है. रूस से चली ट्रेनें कजाखिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान के चाबहार बंदरगाह से समुद्री रास्ते से होते हुए मुंबई पहुंचेंगी. यानी जहां रेलवे ट्रैक होगा वहां ट्रेन चलेगी और जहां समुद्री रास्ता होगा वहां समुद्री जहाजों के जरिये माल पहुंचाया जाएगा. 


नेटवर्क में फिलहाल 10 देश शामिल


इस कॉरीडोर के नेटवर्क में दुनिया के 10 देश शामिल हैं. इसका इस्तेमाल दूसरे रास्तों के मुकाबले ज्यादा होगा. उसकी वजह है कि ये स्वेज नहर वाले रास्ते के मुकाबले 30 फीसदी सस्ता होगा और 40 फीसदी छोटा रास्ता होगा. यानी अगर स्वेज नहर के रास्ते पहुंचने में 10 दिन लगते हैं तो इस रास्ते से सिर्फ 6 दिन लगेंगे. 


अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से रूस इस रास्ते का इस्तेमाल बढ़ाना चाहता है. इसकी मदद से भारत सीधे सेंट्रल एशिया से कनेक्ट हो जाएगा. साथ ही इससे चाबहार का इस्तेमाल भी बढ़ेगा, जिसका मैनेजमेंट इस समय भारत के जिम्मे है. 


चीन को टक्कर दे रहा भारत 


बताते चलें कि दुनिया में अपना व्यापार और वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को आगे बढ़ा रहा है. इसके तहत वह दूसरे देशों में बंदरगाह, हाईवे और रेल नेटवर्क विकसित करने के नाम पर लोन बांटता है. इसके बाद खुद ही इन सब चीजों के ठेके ले लेता है. यही नहीं, उन प्रोजेक्ट्स के संचालन का अधिकार भी अपने पास रखता है. इसकी वजह से दूसरे छोटे देश कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं. जबकि भारत की ओर से शुरू किया गया INSTC एकदम उल्टा है. इसमें कर्ज के जाल में फंसाए बिना दूसरे देशों की मदद की जाती है. जिसके चलते यह अवधारणा ज्यादा लोकप्रिय होती जा रही है. 


पीएम मोदी जाने वाले हैं रूस


बताते चलें कि भारत और रूस मिलकर पीएम मोदी की जुलाई की शुरुआत में मॉस्को की संक्षिप्त यात्रा की संभावना पर विचार कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो करीब पांच वर्षों में पीएम मोदी का यह पहला रूस दौरा होगा. मोदी ने सितंबर 2019 में आर्थिक संगोष्ठी में हिस्सा लेने के लिए रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक का दौरा किया था. अभी इस दौरे के बारे में पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन रूसी प्रशासन के एक अधिकारी का कहना है कि मोदी के रूस दौरे को लेकर तैयारियां की जा रही हैं.