Iran ने धार्मिक स्थल पर हमले के मामले में दो लोगों को दी फांसी, 2023 में इतने लोगों को दे चुका है मौत की सजा
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Iran News: ईरान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक मुकदमे के दौरान दोनों ने कहा कि वे अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के संपर्क में थे और उन्होंने शिराज (Shiraz) में शाह चेराग धार्मिक स्थल (Shah Cheragh Shrine) पर हमले को अंजाम देने में मदद की थी.
Shah Cheragh Attack: ईरान ने अक्टूबर में एक धार्मिक स्थल पर हुए हमले के केस में दो लोगों को फांसी दी है. हमले में कम से कम 13 लोग मारे गए थे. हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी. रॉयटर्स के मुताबिक ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी IRNA ने बताया कि दोनों को दक्षिणी शहर शिराज में भोर में फांसी दे दी गई.
ईरान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक मुकदमे के दौरान दोनों ने कहा कि वे अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के संपर्क में थे और उन्होंने शिराज (Shiraz) में शाह चेराग धार्मिक स्थल (Shah Cheragh Shrine) पर हमले को अंजाम देने में मदद की थी.
क्या हुआ है शाह चेराग धार्मिक स्थल में?
इस हमले की सरकारी टीवी पर प्रसारित एक सीसीटीवी फुटेज में एक हमलावर एक बैग में राइफल छिपाकर धार्मिक स्थान में प्रवेश करता और लोगों को पर गोली चलाता नजर आया जबकि श्रद्धालु भागने और गलियारों में छिपने की कोशिश करते दिखे.
गोली चलाने वाले की पहचान ताजिकिस्तान के नागरिक के रूप में की गई, बाद में हमले के दौरान लगी चोटों के कारण एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई. अधिकारियों ने शुरू में कहा था कि हमले में 15 लोग मारे गए हैं, लेकिन बाद में यह आंकड़ा संशोधित कर 13 कर दिया गया.
इस्लामिक स्टेट ने पहले भी किए हैं ईरान में हमले
इस्लामिक स्टेट, ने ईरान में पहले भी हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की दावा किया है. इसमें 2017 में घातक दोहरे हमले भी शामिल हैं, जिसमें संसद और इस्लामिक गणराज्य के संस्थापक अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी की कब्र को निशाना बनाया गया था.
इस वर्ष ईरान ने इतने लोगों को दी फांसी
मीडिया रिपोट्स् के मुताबिक एक अधिकार समूह ने दावा किया है कि ईरान ने 2023 के पहले छह महीनों में कम से कम 354 लोगों को फांसी दी. नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स (आईएचआर) ने कहा कि मौत की सजा की संख्या 2022 की तुलना में बहुत अधिक है. संगठन ने महसा अमिनी की हिरासत में मौत पर पिछले सितंबर में भड़के व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद ईरान पर आतंक और भय पैदा करने के लिए मौत की सजा के इस्तेमाल को बढ़ाने का आरोप लगाया गया है.
समूह ने कहा कि नशीली दवाओं से संबंधित आरोपों के लिए 206 लोगों को फांसी दी गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 126 प्रतिशत अधिक है.
आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी-मोघदाम ने कहा, ‘मृत्युदंड का उपयोग सामाजिक भय पैदा करने और अधिक विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए किया जाता है. मारे गए लोगों में से अधिकांश हत्या मशीन के कम लागत वाले पीड़ित हैं, नशीली दवाओं के प्रतिवादी जो सबसे अधिक हाशिए वाले समुदायों से हैं.’