Iran के अधिकारी US में कर रहे भागमभाग! मुंह छुपाने को हैं मजबूर; ये है कारण
Iran Protest: ईरान (Iran) के अधिकारियों से जब हिजाब विवाद को लेकर सवाल पूछा जा रहा है तो वो भागते हुए नजर आ रहे हैं. हिजाब विवाद ने अमेरिका में भी ईरानी अधिकारियों का पीछा नहीं छोड़ा है.
Hijab Controversy: ईरान (Iran) में हिजाब विवाद (Hijab Controversy) की आग तेज है. तो वहीं अमेरिका में ईरान के विवाद को लेकर भागमभाग हो रही है. ईरान के अधिकारी मुंह छिपाने को मजबूर हैं. अमेरिका में ईरान के अधिकारी पहुंचे तो UNGA में हिस्सा लेने के लिए थे लेकिन वहां भी हिजाब विवाद ईरान के अधिकारियों के पीछे पड़ा है. ईरान का हिजाब विवाद अब अमेरिका के UN तक पहुंच गया है. न्यूयॉर्क में UNGA के लिए पहुंचे ईरान के अधिकारी मुंह छिपाकर घूम रहे हैं. दरअसल ईरान से जुड़े हर अधिकारी से वहां भी लगातार पत्रकार हिजाब विवाद से जुड़े सवाल पूछ रहे हैं जिसका जवाब देने की बजाय ईरान सरकार के अधिकारी न्यूयॉर्क की सड़कों पर भाग रहे हैं.
मुंह छिपा भागते दिखे ईरानी अधिकारी
बता दें कि न्यूयॉर्क में जब वहां मौजूद ईरान की एक महिला पत्रकार ने प्रदर्शनकारी की मौत पर सवाल पहुंचे. तब ईरान सरकार के अधिकारी ने जवाब नहीं दिया बल्कि मुंह छिपाकर घूमता रहा. रिपोर्टर सवाल पूछती रही और अधिकारी भागता रहा.
UN पहुंचा ईरान का हिजाब विवाद
अमेरिका में ईरान के सभी अधिकारी हिजाब पर भागमभाग कर रहे हैं. UN में भी कई लोग ईरान में चल रहे इस विवाद के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे और सरकार का ये हाल था कि जहां एक तरफ ईरान के अधिकारी मुंह छिपाकर भाग रहे थे. तो वहीं ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने एक अमेरिकी एंकर को इसलिए इंटरव्यू देने से इंकार कर दिया क्योंकि उस एंकर ने हिजाब नहीं पहना था.
महसा अमिनी की मौत के बाद प्रदर्शन की आग तेज
एक तरफ ईरान में हिजाब को लेकर प्रदर्शन दिन-ब-दिन बड़े और गहराते जा रहे हैं. प्रदर्शनकारी की मौत के बाद ये विवाद और बढ़ गया है तो वहीं ईरान के हिजाब विवाद की एक कड़वी सच्चाई एक बार फिर नजर आई. गौरतलब है कि ईरान में हिजाब विवाद और बढ़ गया जब 22 साल की महसा अमिनी की हिरासत में मौत हो गई. इसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. खासकर महिलाओं ने इस घटना के बाद हिजाब का विरोध ही शुरू कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन प्रदर्शनों में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों का दावा है कि इन प्रदर्शनों में अब तक 31 लोगों की मौत हुई है.
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