Israel Hamas War: इजरायल और हमास के बीच जंग लगातार जारी है. इजरायल ने फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के खात्मे की कसम खा रखी है. इजरायल के पीएम नेतन्याहू तो पूरी दुनिया के समझाने के बाद भी हमास से कोई समझौता करने के मूड में नहीं हैं. हमास का नाश ही उनका एक ही लक्ष्य है, इजरायल वैसे तो बहुत ताकतवर है, 75 वर्ष की साल में इजराइल के लिए शायद ही कोई दिन ऐसा रहा होगा, जब उसने संघर्ष नहीं किया होगा. लेकिन 7 अक्टूबर को हमास ने जिस तरह इजरायल में घुसकर हमला किया, उसके बाद ही दुनिया के नजरों में इजरायल की ताकत पर ही सवाल खड़े हुए हैं. 


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ट्रंप ने लगाया आरोप
इजरायल और 
हमास के बीज जारी जंग के दौरान डोनाल्ड ट्रंप का एक बयान बहुत चर्चा में है. ट्रंप ने  इजराइल सरकार की आलोचना करने के लिए ट्रम्प की आलोचना की है. डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर करारा हमला बोला. उनका कहना था कि इजरायल और उनके सहयोगी देशों की खुफिया एजेंसी हमास हमले के मामले में फेल रही. जबकि उसके दुश्मन ''बहुत चालाक'' हैं.


ट्रंप ने बुधवार को वेस्ट पाम बीच फ्लोरिडा में समर्थकों के एक समूह से कहा, "मैं यह कभी नहीं भूलूंगा कि नेतन्याहू ने हमें निराश किया." "यह बहुत भयानक बात थी."


नेतन्याहू ही हमले के दोषी
वहीं दूसरी तरफ टाइम पत्रिका को ‌दिए एक इंटरव्यू में कहा कि इजरायल के पीएम नेतन्याहू के होते हुए उनके देश में इस तरह हमला हो जाए, यह बहुत बड़ी हार है. और अगर इसके लिए नेतन्याहू की आलोचना हो रही है तो जायज है.  ट्रंप ने इजरायल के बारें में बात करते हुए कहा कि पूरी दुनिया जानती है, हम जानते हैं, आप जानते हैं, बहुत सारे लोग जानते हैं कि इजरायल बहुत ताकतवर है, उस पर कभी भी हमला हो सकता है, और वह हमले से निपटने के लिए हमेशा तैयार होता है, लेकिन हमास हमले की जानकारी नेतन्याहू को नहीं थी, ये कैसे संभव है. इसके लिए तो उन्हें ही दोषी ठहराया जाना चाहिए.  


राष्ट्रपति बनने पर इजरायल की मदद
संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान रिपब्लिकन दावेदार डोनाल्ड इन दिनों अमेरिका में चुनाव प्रचार में बिजी हैं, दूसरी तरफ उनके खिलाफ अदालत के मामले भी चल रहे हैं. ऐसे में ट्रंप का बयान बहुत मायने रख रहा है, ट्रंप का कहना है कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीते तो वह इजरायल की रक्षा करेंगे. लेकिन नेतन्याहू की जमकर आलोचना की. 

ट्रंप और नेतन्याहू के रिश्तों में खटास!
डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू उन चार सालों के दौरान राजनीतिक सहयोगियों के रूप में करीबी थे. जब ट्रंप राष्टपति थे, लेकिन बाद में यह रिश्ता खराब हो गया. डोनाल्ड ट्रंप ने नेतन्याहू पर धोखा देने का भी आरोप लगाया था.


डोनाल्ड ट्रंप क्यों हैं नेतन्याहू से गुस्‍सा?
अमेरिकी प्रशासन में 2017 से लेकर 2021 तक रहे ट्रंप के कार्यकाल को इसराइल के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है. दोनों देशों के इतिहास में अमेरिका और इसराइल कभी भी इतना क़रीब न रहे. ट्रंप जब अमेरिकी राष्ट्रपति थे तब नेतन्याहू इसराइल के प्रधानमंत्री थे और दोनों ख़ुद को इस तरह से पेश करते थे जैसे उन दोनों के व्यक्तिगत संबंध हों और सार्वजनिक तौर पर दोनों एक दूसरे की प्रशंसा करते थे. लेकिन  नेतन्याहू ने जिस तरह से चुनाव में जीत के बाद जो बाइडन को बधाई दी थी उससे ट्रंप 'आगबबूला' थे और उन्होंने नेतन्याहू के लिए एक अपशब्द का भी प्रयोग किया था. 

नेतन्याहू ने ट्रंप का तोड़ा भरोसा!
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंटरव्यू के दौरान कहा था, "पहला व्यक्ति जिसने (जो बाइडन को) बधाई दी वो बीबी (बिन्यामिन) नेतन्याहू थे. वो व्यक्ति जिसके लिए मैंने किसी ओर से ज़्यादा किया और उनके साथ काम किया. बीबी शांत रह सकते थे. उन्होंने बहुत बड़ी ग़लती की." ट्रंप ने आगे की टिप्पणियों में भी नेतन्याहू का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, "किसी ने भी बीबी के लिए उतना नहीं किया. और मुझे बीबी पसंद थे." इसके बाद ट्रंप ने कहा कि 'मैं अब भी नेतन्याहू को पसंद करता हूँ लेकिन मुझे वफ़ादारी भी पसंद है.'

अब जानें क्यों है इजरायल बड़का लड़ाकू
इजरायल जबसे उदय हुआ तबसे जंग ही लड़ रहा है. एक नजर में देखें अब तक कितने युद्धों का इजरायल ने किया सामना.


इजरायल ने कब-कब किस देश से लड़ी लड़ाई?


  • वार ऑफ इंडिपेंडेंस यानी स्वतंत्रता की लड़ाई साल 1947 में शुरू हुई जो लगातार चलती रही. इस बीच इजराइल देश घोषित हुआ तो संघर्ष और तेज हुआ. इस तरह लगभग दो वर्ष तक चले युद्ध के बाद साल 1949 में समाप्त हुआ. इसमें इजराइल के खिलाफ आठ अरब देशों ने हिस्सा लिया.

  • सिनाई का युद्ध साल 1956 में लड़ा गया. इसमें सामने पड़ोसी मिस्र की सेना थी.

  • सिक्स डे वार साल 1967 में लड़ा गया. इसमें भी कई अरब देश शामिल हुए. छह दिन तक चले युद्ध के बाद इजराइल के साथ लड़ने वाले सभी देश परास्त हुए. उत्साहित इजराइल ने अपनी सीमा से बाहर जाकर काफी भूमि पर कब्जा कर लिया.

  • वार ऑफ एट्रीशन यानी संघर्षण का युद्ध साल 1967 में शुरू हुआ और लगभग तीन साल तक चला. इस युद्ध में इजराइल के खिलाफ चार अरब देश थे.

  • किप्पूर का युद्ध साल 1973 में शुरू हुआ और इसमें सात अरब देश इजराइल के खिलाफ लड़े थे.

  • ऑपरेशन लितानी के नाम से मशहूर युद्ध 1978 में लड़ा गया. इसमें फिलिस्तीन और इजराइल आमने-सामने थे.

  • प्रथम लेबनान युद्ध साल 1982 से 1985 तक चला. इसमें लेबनान के साथ कई और अरब देश इजराइल के खिलाफ खड़े थे.

  • द्वितीय लेबनान युद्ध साल 2006 में हुआ. इसमें लेबनान का चरमपंथी गुट हिजबुल्लाह ने इजराइल से मोर्चा लिया था.

  • पहला इंतिफादा के नाम से मशहूर युद्ध 1987 में शुरू हुई और 1993 तक चली. इसमें भी लेबनान और इजराइल आमने-सामने थे. दूसरा इंतिफादा फिलिस्तीन और इजराइल के बीच लड़ा गया. यह साल 2000 से लेकर 2005 तक चला.

  • ऑपरेशन कास्ट लीड नाम का युद्ध फिलिस्तीन-इजराइल के बीच हुआ. इसमें हमास फिलिस्तीन के मुख्य सहयोगी के रूप में हिस्सा लिया. यह साल 2008-2009 में लड़ा गया.

  • ऑपरेशन पिलर ऑफ डिफेंस नाम से मशहूर एक और युद्ध इजराइल-हमास के बीच साल 2012 में लड़ा गया. साल 2014 में भी हमास एक बार इजराइल से भिड़ा. साल 2021 में एक बार फिर हमास ने इजराइल पर हमला बोला. और अब साल 2023 में यह ताजा संघर्ष जारी है.