Israel-Hamas War: जंग के बीच इजरायल की महिला सैनिक के वो आखिरी शब्द, जिन्हें सुनकर भर आएगी आंख!
Israel-Hamas War Death Toll: इजरायल-हमास में जंग जारी है. हमास (Hamas) के आंतकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने गाजा पट्टी पर हजारों बम बरसाए हैं. इस बीच, एक इजरायली महिला सैनिक की दर्दभरी कहानी सामने आई है.
Israeli Female Soldier Last Words: इजरायल-हमास के बीच जारी युद्ध के बीच कई दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं. ऐसी ही एक कहानी इजरायल (Israel) की बख्तरबंद कोर की महिला सैनिक नामा बोनी की है. बता दें कि 19 साल की नामा बोनी हमास (Hamas) के हमले में घायल हो गई थीं, जिसके बाद उन्होंने किसी तरह छिपने का एक ठिकाना ढूंढा और अपने परिवार को आखिरी संदेश भेजा. बता दें कि नामा बोनी सिर्फ सात महीने पहले इजरायली सेना में भर्ती हुई थीं. हमले में घायल होने के बाद बोनी को अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन बाद में उनकी मौत हो गई.
इजरायली महिला सैनिक का आखिरी संदेश
इजरायली महिला सैनिक बोनी ने लिखा कि मुझे आप सभी की बहुत चिंता है. मेरे सिर में चोट लगी है. आसपास मौजूद कोई भी आतंकवादी मुझ पर गोलीबारी शुरू कर सकता है. मैं इस समय गोलानी ब्रिगेड के एक घायल सैनिक के साथ हूं और कोई अतिरिक्त सहायता उपलब्ध नहीं है.
महिला सैनिक की दर्दनाक स्टोरी
जान लें कि हमास के हमले के वक्त नामा बोनी आर्मी बेस के एंट्री गेट पर तैनात थीं. आतंकी हमले के बीच बोनी ने एक और दर्दनाक मैसेज अपने परिवार को भेजा था. बोनी ने लिखा था कि मैं किसी के चिल्लाने की आवाज सुन सकती हूं और ऐसा प्रतीत होता है कि कोई मारा गया है.
हमास का नामोनिशान मिटाने में जुटा इजरायल
आतंकी हमले के बाद बदले की आग में जल रहे इजरायल ने गाजा पट्टी को नेस्तनाबूद कर दिया है. इजरायली सेना ने इतने बम, रॉकेट्स और मिसाइलें बरसाई हैं कि पूरा का पूरा शहर मलबे में में तब्दील होता दिख रहा है. हालांकि, इजरायल यहीं नहीं रुकेगा, उसका इरादा हमास का नामोनिशान मिटा देने का है.
इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास ISIS से भी ज्यादा क्रूर है और जैसे ISIS को कुचल दिया गया, वैसे ही हमास को भी कुचल दिया जाएगा. हमास के साथ बिल्कुल वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए जैसा कि ISIS के साथ किया गया था. उन्हें राष्ट्रों के समुदाय से बाहर कर दिया जाना चाहिए. किसी भी नेता को उनसे नहीं मिलना चाहिए. किसी भी देश को उन्हें आश्रय नहीं देना चाहिए और जो ऐसा करते हैं उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.