Japan Election: शिंजो आबे की हत्या का चुनाव पर असर? जीत की ओर बढ़ी ये पार्टी
Shinzo Abe Assassination: जापान की सत्तारूढ़ पार्टी और इसके गठबंधन साझेदार ने संसदीय चुनाव में जीत की ओर बढ़ रही है. पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या को देखते हुए सहानुभूति वोट मिलने के चलते इस तरह के चुनाव परिणाम देखने को मिले हैं. संसद के उच्च सदन के लिए हुए चुनाव के शुरूआती परिणामों में आबे की सत्तारूढ़ पार्टी और इसकी जूनियर गठबंधन साझेदार कोमैतो सदन में बहुमत हासिल करती नजर आ रही है.
Japan Ruling Party Marches to Victory: शुरूआती मतगणना में सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (Liberal Democratic Party) 248 सदस्यीय उच्च सदन में अपने गठबंधन साझेदारों के साथ 143 सीट हासिल करने की राह पर बढ़ती नजर आ रही है. प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Prime Minister Fumio Kishida) ने रविवार को हुए मतदान के बारे में कहा कि यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि हमने चुनाव प्रक्रिया पूरी की. लोकतंत्र बचाने की हमारी कोशिश जारी है.
आबे की हत्या के बाद वोटिंग
आबे की हत्या के दो दिन बाद रविवार को संसद के उच्च सदन के लिए वोट डाले गए. इस बीच, पुलिस ने पश्चिमी जापान में आबे के कथित हत्यारे को आगे की जांच के लिए स्थानीय अभियोजक कार्यालय को सौंप दिया. एक शीर्ष क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी ने सुरक्षा में संभवत: चूक होने की बात स्वीकार की है, जिसके चलते हमलावर आबे के इतने करीब पहुंच सका और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी.
चुनावी सभा में गोली
जापान के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार आबे की शुक्रवार को एक चुनाव सभा के दौरान भाषण देते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माने जाने वाले जापान में इस घटना ने लोगों को स्तब्ध कर दिया, जहां बंदूक नियंत्रण संबंधी कड़े कानून हैं.
नौसेना के पूर्व सदस्य को किया गया था गिरफ्तार
आबे (67) पर देश के पश्चिमी हिस्से के नारा में भाषण शुरू करने के कुछ मिनटों बाद हमलावर ने गोली चलाई थी. आबे को विमान से एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी सांस नहीं चल रही थी और उनकी हृदय गति रुक गई थी. पुलिस ने मौके से जापान की नौसेना के एक पूर्व सदस्य तेत्सुया यामागामी को गिरफ्तार किया था.
पीएम ने कही थी ये बात
रविवार के संसदीय चुनाव से पहले आबे की हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया और यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं की गई थी. प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और उनके कैबिनेट मंत्री देशभर में अन्य चुनाव प्रचार अभियानों को बीच में रोककर टोक्यो लौट आए थे. प्रधानमंत्री किशिदा ने इस हमले को ‘कायराना और बर्बर’ करार दिया था.
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