North Korea-Russia: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने पिछले हफ्ते रूस में निर्मित ऑरस लिमोजिन की सवारी का आनंद लिया था. कार में बैठे दोनों नेताओँ की तस्वीरें खासी वायरल हुई थीं. दोनों नेता कार की सवारी के जरिए मजबूत होते मॉस्को प्योंगयांग संबंधों का संदेश पश्चिम को देना चाहते थे. हालांकि अब इस कार के बारे में कुछ ऐसा खुलासा हुआ है जिसे किम बिल्कुल पसंद नहीं करेंगे.


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रॉयटर्स के मुताबिक कस्टम रिकॉर्ड से पता चलता है कि इसे बनाने वाली कंपनी लाखों डॉलर के इंपोर्टेड पार्ट्स का इस्तेमाल करती है. इनमें से कई रूस में दक्षिण कोरिया से आते हैं जिसे किम जोंग उन ने अपने देश का 'प्राथमिक दुश्मन'


कस्टम रिकॉर्ड के मुताबिक रूस ने 2018 से 2023 के बीच ऑरस कारों और मोटरसाइकिलों को असेंबल करने के लिए कम से कम 34 मिलियन डॉलर के उपकरण और कंपोनेंट आयात किए हैं.


क्या-क्या किया गया इंपोर्ट
इंपोर्ट में कार बॉडी पार्ट्स, सेंसर, प्रोग्रामेबल कंट्रोलर, स्विच, वेल्डिंग उपकरण और अन्य कंपोनेंट शामिल थे. कीमत दक्षिण कोरिया से आयातित पार्ट्स की कीमत लगभग 15.5 मिलियन डॉलर थी. चीन, भारत, तुर्की, इटली और अन्य यूरोपीय संघ के देशों से भी पुर्जे आयात किए गए.


यूक्रेन पर रूस के पूर्ण पैमाने पर हमले के बाद भी ऑरस के लिए विदेशी आपूर्ति आती रही. फरवरी 2022 से आयात किए गए सामान की कीमत लगभग 16 मिलियन डॉलर थी जिसमें दक्षिण कोरिया में उत्पादित 5 मिलियन डॉलर शामिल थे.


रिपोर्ट के मुताबिक यह पता नहीं चल सका कि किम को गिफ्ट में दी गई कार में कौन से आयातित विदेशी पुर्जे इस्तेमाल किए गए थे. इसके साथ आयात प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं था, क्योंकि ऑरस एलएलसी को फरवरी, 2024 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित किया गया था.


ऑरस सेडान रूस की घरेलू शक्ति का प्रतीक
इस लग्जरी सेडान का मकसद रूस की घरेलू शक्ति और आयातित प्रौद्योगिकी और वस्तुओं पर निर्भरता को कम करना था.


ऑरस सेडान को रूसी सरकारी स्वामित्व वाली अनुसंधान संस्था NAMI ने रूसी कार निर्माता सोलर्स के साथ साझेदारी में विकसित किया था, जिसने  अपनी हिस्सेदारी बेच दी है.


ऑरस मोटर्स और इसके सीईओ एंड्री पैनकोव ने अपने वाहनों में दक्षिण कोरिया सहित विदेशी पुर्जों इस्तेमाल के सवाल का जवाब नहीं दिया.


इंपोर्ट से इस बात का सबूत है कि रूस पश्चिमी तकनीक पर लगातार निर्भर है. हालांकि वह यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिम द्वारा लगाई गई पाबंदियों से निपटना चाहता है.


पुतिन की उत्तर कोरिया की यात्रा खासी चर्चित रही थी. यह उत्तर कोरिया में लगभग एक चौथाई सदी में उनकी पहली यात्रा थी. उनका दौरा दो परमाणु शक्तियों के बीच बढ़ते घनिष्ठ संबंधों का प्रदर्शन था.