संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादियों के लिए वित्तीय मदद को खत्म करने की जरूरत पर एक बार फिर जोर देने के साथ भारत ने इस बात पर अफसोस जताया कि वैश्विक निकाय द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद लश्करे तैयबा जैसे आतंकी समूहों को पैसा मिल रहा है।


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भारत ने चिंता जतायी कि सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में शामिल होने और यात्रा प्रतिबंध, संपत्तियों के जब्ती और हथियारों की खरीद पर प्रतिबंध का सामना करने के बावजूद आतंकी संगठनों को मादक पदार्थों की तस्करी, चोरी, फिरौती और जबरन वसूली के लिए अपहरण के माध्यम से जुटाए जाने वाले गैरकानूनी स्रोतों से वित्तीय मदद मिल रही है।


संयुक्त राष्ट्र में भारत के कार्यवाहक प्रतिनिधि भगवंत बिश्नोई ने आतंकवाद एवं सीमा पार अपराध विषय पर सुरक्षा परिषद में एक बहस के दौरान कहा कि किसी आतंकी समूह को प्रतिबंधित करने के साथ ‘आतंकवाद को पल्लवित करने वाली जीवन रेखा कट जानी चाहिए। लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा हमेशा नहीं होता।’


उन्होंने कहा कि लश्करे तैयबा प्रतिबंधित संगठन होने के बावजूद इस साल मई में अफगानिस्तान में भारत के वाणिज्य दूतावास पर हमला करने में सक्षम रहा। बिश्नोई ने कहा, ‘लश्करे तैयबा को पर्याप्त धनराशि मिल रही है। अफसोस है कि प्रतिबंधों के इस तरह के उल्लंघनों को लेकर ऐसा लगता है कि परिषद की प्रतिबंध समिति शायद ही कुछ कर सकती है।’


उन्होंने कहा कि संसाधन जुटाने के अलावा अवैध गतिविधियों से आतंकी नेटवर्क के प्रसार एवं विकास में मदद मिलती है। बिश्नोई ने अफगानिस्तान में अफीम की खेती से पैदा होने वाले राजस्व का उदाहरण दिया जिससे तालिबान और दूसरे आतंकवादी नेटवर्क को मदद मिलती है।