Maldives Election: मालदीव में चीन के `चेले` मुइज्जू की बल्ले-बल्ले... संसदीय चुनाव में जीत की ओर बढ़ रही पार्टी
Maldives Election Result: चीन की हां में हां मिलाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी संसदीय चुनाव में बड़ी बढ़ बना चुकी है. यह चुनाव मुइज्जू के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
Maldives Election Result: चीन की हां में हां मिलाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी संसदीय चुनाव में बड़ी बढ़ बना चुकी है. यह चुनाव मुइज्जू के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. चुनाव में जीत के साथ मुइज्जू को विरोधी दल की अड़चन से राहत मिल जाएगी. मालदीव के संसदीय चुनाव पर भारत और चीन की भी नजर थी.
मतपत्रों की गिनती जारी
समाचार पोर्टल ‘अधाधु डॉट कॉम’ की खबर के अनुसार 20वीं पीपुल्स मजलिस के लिए मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह 8:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक हुआ. इसके अनुसार मतदान समाप्त होते ही निर्वाचन अधिकारियों ने देश भर में मतपेटियों को सील कर दिया. मतपत्रों की गिनती जारी है और परिणाम रविवार देर रात तक आने की उम्मीद है.
72.96 प्रतिशत मतदान
निर्वाचन आयोग (ईसी) की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार, स्थानीय समयानुसार शाम 5:00 बजे तक 207,693 लोगों ने मतदान किया, इसके अनुसार 72.96 प्रतिशत मतदान हुआ. इसमें 104,826 पुरुष और 102,867 महिलाएं शामिल हैं. कुल 284,663 लोग मतदान के लिए पात्र थे.
मालदीव और तीन अन्य देशों में कुल 602 मतपेटियां
‘पीएसएमन्यूज डॉट एमवी’ की खबर के अनुसार, संसदीय चुनाव के लिए मालदीव और तीन अन्य देशों में कुल 602 मतपेटियां रखी गई थीं. कम से कम 34 रिसॉर्ट्स, जेल और अन्य औद्योगिक द्वीपों में भी मतदान केंद्र बनाये गये थे. मालदीव के बाहर जिन देशों में मतदान के लिए मतपेटियां रखी गई थीं, उनमें भारत में तिरुवनंतपुरम, श्रीलंका में कोलंबो और मलेशिया में कुआलालंपुर शामिल हैं.
किस पार्टी के कितने उम्मीदवार
कुल 93 निर्वाचन क्षेत्रों में सांसद चुने जाएंगे, जिनमें छह पार्टियों से 368 उम्मीदवार चुनाव मैदान हैं. इन छह दलों में मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी), मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और 130 निर्दलीय शामिल हैं. पीएनसी ने 90 उम्मीदवार, एमडीपी ने 89, डेमोक्रेट्स ने 39, जम्हूरी पार्टी (जेपी) ने 10, मालदीव्स डेवलपमेंट अलायंस (एमडीए) और अधालथ पार्टी (एपी) ने चार-चार और मालदीव्स नेशनल पार्टी (एमएनपी) ने दो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.
मुइज्जू के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण
चीन समर्थक नेता के रूप में देखे जाने वाले मुइज्जू के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि चुनाव से कुछ ही दिन पहले, विपक्षी दलों ने 2018 से उनके कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट लीक होने के बाद राष्ट्रपति के खिलाफ जांच और महाभियोग चलाये जाने की मांग की. हालांकि मुइज्जू ने इस आरोप को खारिज कर दिया. इसके अलावा, जब से मुइज्जू ने पद संभाला है, सांसदों ने उनके तीन नामितों को कैबिनेट में शामिल करने पर रोक लगा दी है.
मालदीव हिंद महासागर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण
बता दें कि मालदीव हिंद महासागर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर स्थित है. ऐसे में भारत और चीन मालदीव में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं. मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ गई. मुइज्जू ने चीन समर्थक रुख अपनाया और देश के एक द्वीप पर तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने का काम किया.
‘भारत को बाहर करो’
राष्ट्रपति पद के लिए मुइज्जू का चुनाव अभियान ‘भारत को बाहर करो’ थीम पर आधारित था, जिसमें उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति पर भारत को बहुत अधिक महत्व देकर राष्ट्रीय संप्रभुता से समझौता करने का आरोप लगाया था. मालदीव में कम से कम 75 भारतीय सैन्यकर्मी तैनात थे और वे भारत द्वारा दान किए गए दो विमानों का संचालन करने के साथ ही समुद्र में फंसे या आपदाओं का सामना करने वाले लोगों के बचाव कार्य में सहयोग करते थे.
भारत में मालदीव पर्यटन के बहिष्कार की मुहिम
भारत और मालदीव के बीच रिश्ते तब और तनावपूर्ण हो गए जब अनेक भारतीय लोगों ने सोशल मीडिया पर मालदीव पर्यटन का बहिष्कार करने का अभियान शुरू कर दिया. दरअसल मालदीव के तीन उपमंत्रियों ने लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचार को लेकर उनके बारे में अपमानजनक बयान दिए थे, जिसके जवाब में भारत में मालदीव पर्यटन के बहिष्कार की मुहिम चली.
भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट
मालदीव सरकार के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है. मुइज्जू ने इस साल की शुरुआत में चीन का दौरा किया था और चीन से आने वाली पर्यटकों तथा उड़ानों की संख्या में वृद्धि पर बातचीत की थी. मालदीव 2013 में चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में शामिल हो गया था, जिसका उद्देश्य पूरे एशिया, अफ्रीका और यूरोप में व्यापार तथा चीन के प्रभाव का विस्तार करने के लिए बंदरगाहों और राजमार्गों का निर्माण करना था.
(एजेंसी इनपुट के साथ)