संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि मॉनसून और चक्रवात के मौसम में बांग्लादेश के अस्थायी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हजारों रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए खतरा पैदा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार लगभग सात लाख अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के रखाइन प्रांत में पिछले साल 25 अगस्त को सेना के दमनकारी अभियान के बाद हिंसा से बचने के लिए भाग कर बांग्लादेश चले गए थे.


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म्यांमार रोहिंग्या को एक जातीय समूह के रूप में मान्यता नहीं देता है और इस बात पर जोर देता है कि वे देश में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासी हैं. संयुक्त राष्ट्र आव्रजन एजेंसी ने दक्षिणी बांग्लादेश में बाढ़ और भूस्खलन से निपटने की तैयारियों के लिए तत्काल आर्थिक सहायता की अपील की है.


अंतरराष्ट्रीय आव्रजन संगठन (आईओएम) ने कहा है कि म्यांमार में हिंसा के डर से भाग कर बांग्लादेश के शिविरों में रहने वाले हजारों लोगों के जीवन बिना फंड के खतरे में पड़ जाएगा. लगभग दस लाख रोहिंग्या शरणार्थी कोक्स बाजार इलाके में रहते हैं और उनमें से 25 हजार के बारे में कहा जाता है कि उन्हें भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है.


म्यांमार में हालिया संघर्षों की वजह से हजारों लोगों ने पलायन किया, संयुक्त राष्ट्र ने कहा
वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा कि म्यांमार के सुदूरवर्ती उत्तरी क्षेत्र में म्यांमार की सेना और जातीय विद्रोहियों के बीच हुए हालिया संघर्षों के कारण हजारों लोगों ने पलायन किया. उनका कहना है कि लंबे समय से चले आ रहे ये संघर्ष और गंभीर रूप लेते जा रहे हैं. मानवीय मामलों के समन्वय से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय के प्रमुख मार्क कट्स ने शुक्रवार (27 अप्रैल) रात एएफपी को बताया कि पिछले तीन हफ्तों में चीनी सीमा से सटे म्यांमार के सबसे उत्तरी राज्य काचिन में 4,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं.


ये लोग इस साल की शुरुआत में पलायन कर चुके उन 15,000 लोगों और 2011 में सरकार और काचिन की शक्तिशाली स्वंतत्र सेना के बीच फिर से संघर्ष भड़कने के बाद से काचिन और शान दोनों राज्यों के आईडीपी (आंतरिक रूप से विस्थापित लोग) शिविरों में रह रहे 90,000 से भी ज्यादा लोगों में शामिल नहीं है. कट्स ने हालिया संघर्षों के बारे में कहा कि हमें स्थानीय संगठनों की तरफ से रिपोर्ट मिली है, जिसमें उनका कहना है कि कई लोग अभी भी हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में फंसे हुए हैं.