BRI project impact on india: नेपाल ने बुधवार को वह काम अंजाम दे दिया, जिस पर वह अब इतरा रहा है. नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने चीन की बहुप्रतीक्षित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) सहयोग मसौदा समझौते पर दस्तखत कर दिए. मसौदे में अनुदान की जगह निवेश लिखकर नेपाल भले ही इसे अपने लिए फायदेमंद माने, लेकिन ड्रैगन पर आंख मूंदकर भरोसा करना ओली को भारी भी पड़ सकता है. इस करार के बाद आशंका है कि नेपाल में चीन का दखल भी बढ़ जाएगा. ये किसी भी हाल में भारत के लिए अच्छी खबर नहीं होगी.


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चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद ओली पहली बार चीन की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे थे. प्रधानमंत्री ओली ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि आज हमने बेल्ट एंड रोड सहयोग के मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. चीन की मेरी आधिकारिक यात्रा समाप्त होने के साथ ही मैं प्रधानमंत्री ली क्वींग के साथ द्विपक्षीय वार्ता, एनपीसी के अध्यक्ष झांग लेजी के साथ चर्चा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक से सम्मानित महसूस कर रहा हूं. 


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उन्होंने कहा कि बेल्ट एंड रोड सहयोग मसौदा समझौते के तहत नेपाल-चीन आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा. प्रधानमंत्री सचिवालय के मुताबिक विदेश सचिव अमृत बहादुर राय और चीन के राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग के लियू सुशे ने बीआरआई मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए. काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक समझौते में चीनी पक्ष ने नेपाली पक्ष द्वारा प्रस्तावित अनुदान शब्द को हटा दिया और बीआरआई के तहत परियोजनाओं के लिए इसके स्थान पर निवेश शब्द रखने का सुझाव दिया. अखबार के मुताबिक नए नियमों और शर्तों की समीक्षा के बाद अधिकारियों ने एक समाधान तलाशा और नेपाल में परियोजना निष्पादन के संबंध में सहायता और तकनीकी मदद वाक्यांश को शामिल करने का निर्णय लिया. 


नेपाली पीएम ओली की ये चीन यात्रा बीते कई दिनों से सुर्खियों में थी. नेपाल ने अपने भरोसेमंद दोस्त भारत की जगह चीन पर ज्यादा ऐतबार किया है. उससे पहले तक नेपाल के प्रधानमंत्री चुनाव जीतने के बाद अपना पहला विदेशी भारत का करते थे, लेकिन ओली ने न सिर्फ इस परंपरा को तोड़ा, बल्कि चीन के हाथों की कठपुतली भी बन गए. (एजेंसी इनपुट)


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