नॉर्डिक देशों ने भांप ली विश्व युद्ध की आहट? फिनलैंड की तरह बॉर्डर पर दीवार खड़ी करने जा रहा नॉर्वे
Norway Russia Border News: फिनलैंड की तर्ज पर नॉर्वे भी रूस के साथ लगती सीमा पर बाडबंदी करने की सोच रहा है. यूक्रेन में जंग शुरू होने के बाद से रूस से लगती सीमाओं वाले देश सतर्क हो गए हैं.
यूक्रेन के साथ युद्ध कर रहे रूस की नीयत पर उसके पड़ोसियों को शक है. फिनलैंड ने पिछले साल रूस के 'हाइब्रिड युद्ध' को रोकने के लिए सीमा की बाड़बंदी (fencing) शुरू की थी. फिनलैंड ने रूस के साथ लगती 1,340 किलोमीटर लंबी सीमा पर फेंसिंग कर ली है. उसी तर्ज पर एक और नॉर्डिक देश, नॉर्वे भी ऐसा करने का प्लान बना रहा है. नॉर्वे के एक मंत्री ने पिछले हफ्ते इसका खुलासा किया. नॉर्वे और रूस के बीच का बॉर्डर 198 किलोमीटर लंबा है.
नॉर्वे के सरकारी पब्लिशर ने न्याय मंत्री एंगर मेहल के हवाले से कहा, 'सीमा पर बाड़ लगाना बहुत दिलचस्प है, न केवल इसलिए कि यह डिटरेंट (निवारक) के रूप में कार्य कर सकता है, बल्कि इसलिए भी कि इसमें सेंसर और तकनीक होती है जो यह पता लगाने में मदद करती है कि लोग सीमा के करीब जा रहे हैं या नहीं.' उन्होंने कहा कि नॉर्वे की सरकार आर्कटिक नॉर्थ में रूस से लगती सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए 'कई विकल्पों' पर विचार कर रही है.
आधिकारिक रूप से, रूस से नॉर्वे में दाखिल होने के लिए इकलौती क्रॉसिंग स्टोर्सकोग बॉर्डर स्टेशन है. यहां पिछले सालों में अवैध क्रॉसिंग की चुनिंदा घटनाएं ही देखने को मिली हैँ. लेकिन अगर हालात बिगड़े तो नॉर्वे की सरकार फौरन बॉर्डर बंद करने को तैयार है.
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फिनलैंड ने बंद कर रखा है रूस वाला बॉर्डर
फिनलैंड सरकार ने 2023 के आखिर में रूस से फिनलैंड तक सभी क्रॉसिंग पॉइंट्स को बंद कर दिया था. क्योंकि तीसरे देशों के 1,300 से अधिक प्रवासी बिना उचित दस्तावेज या वीजा के देश में घुस आए थे. ऐसा फिनलैंड के नाटो का सदस्य बनने के कुछ ही महीने बाद ही हुआ था. फिनलैंड की सरकार इसे रूस का 'हाइब्रिड वारफेयर' बताती है.
फिनलैंड ने सीमा पर जैसी बाड़बंदी की है, उसमें आला दर्ज के सर्विलांस उपकरण लगाए हैं. उससे प्रभावित होकर, मेहल ने कहा कि यह नॉर्वे के लिए भी अच्छा विकल्प हो सकता है.
स्टोर्सकोग बॉर्डर स्टेशन वर्तमान में 200 मीटर (660 फीट) लंबी और 3.5 मीटर (12 फीट) ऊंची बाड़ से घिरा हुआ है. इसे 2016 में तब लगाया गया था जब एक साल पहले लगभग 5,000 प्रवासी और शरण चाहने वाले रूस से नॉर्वे पहुंचे थे.