यूक्रेन ही नहीं इस देश में भी वर्षों से उलझी है रूसी सेना, आखिर क्या है वजह?
Russian Army: रूसी सेना सिर्फ यूक्रेन में ही युद्ध नहीं कर रही है बल्कि मध्य पूर्व के एक ऐसे देश में मौजूद है जो कि कई वर्षों से गृह युद्ध की आग में जल रहा है.
Russian Forces In Syrian Civil War: रूसी सेना सिर्फ यूक्रेन में ही युद्ध नहीं कर रही है बल्कि वह सालों से सीरिया में जमी हुई है. सीरिया में रूसी सेना की मौजूदगी को लेकर वहां के लोगों में मॉस्को के खिलाफ खासी नाराजगी है. करीब एक सप्ताह सीरिया के बागियों ने रूस पर ट्रोन अटैक किया था.
बता दें रूस सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थक है. वह असद के तख्तापलट की कोशिशों को नाकाम करने के लिए सीरियार में जमा हुआ है.
रूस ने किया विद्रोहियों पर ड्रोन अटैक
इस रविवार को रूस ने उत्तर पश्चिम सीरिया के विद्रोहियों पर एयर स्ट्राइक की थी जिसमें 10 लोगों की जान गई थी और कई घायल हो गए थे. हालांकि सीरियाआई सरकार ने इस हमले पर चुप्पी साध ही लेकिन विद्रोहियों ने इसे नरसंहार का नाम दिया.
कैसे शुरू हुई सीरिया में जंग ?
2011 में असद के खिलाफ जनता में अंसतोष बढ़ता जा रहा था. उनके खिलाफ सड़कों पर उतर. असद ने न सिर्फ सत्ता छोड़ने से इनकार दिया बल्कि उनका विरोध कर रहे लोगों का दमन करना भी शुरू कर दिया. यहीं से सीरिया गृह युद्ध की चपेट में आ गया.
सीरियाई गृह युद्ध में रूस की एंट्री
सीरियाई गृह युद्ध में कई देश शामिल हो गए. कुछ देश असद के समर्थन में थे. लेकिन रूस ने 2015 में आधिकारिक तौर पर असद को समर्थन दिया और अपनी सेना को सीरिया में भेज दिया.
असद और रूस की सेनाएं विद्रोहियों को कुचलने लगी और बहुत से हिस्सों में बागियों को काबू में कर लिया गया. सीरिया में रूसी सेना के प्रभावशाली अभियान ने मध्य पूर्व के कई देशों को रूस से संबंध सुधारने के लिए प्रेरित किया.
रूस को देख अमेरिका भी जंग में कूदा
इस बीच सीरिया और मिडिल ईस्ट में रूस का प्रभाव बढ़ता देख अमेरिका भी इस जंग में उतर आया और उत्तरी सीरिया में बढ़ने लगा. यह इलाका संसाधनों से भरपूर माना जाता है.
इस दोनों महाशक्तियों के बीच असद अपना फायदा देख रहे हैं. जब उन्होंने देखा की अमेरिका पलड़ा ज्यादा भारी हो रहा है तो वह वॉशिंगटन की तरफ झुकने लगे हालांकि प्रत्यक्ष तौर पर उन्होंने रूस के खिलाफ कुछ नहीं कहा. वहीं रूस ने भी जब सीरिया में ज्यादा फायदा नहीं देखा तो वह धीरे-धीरे अपनी सेनाएं घटाने लगा. हालांकि अभी भी रूसी सेनाएं सीरिया में मौजूद हैं.
इधर सीरियाई आबादी का बड़ा हिस्सा मानता है कि रूसी सेनाओं को सीरिया से हट जाना चाहिए. कुछ सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है.