Asif Ali Zardari : पाकिस्तान में रविवार ( 10 मार्च ) को आसिफ अली जरदारी ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. देश के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने उन्हें इस्लामाबाद में मौजूद प्रेसिडेंशियल पैलेस ऐवान-ए-सद्र में शपथ दिलाई. साथ ही इस दौरान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भी मंच पर मौजूद रहे थे. 


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वहीं चारों प्रांतों के गवर्नर, हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिस समेत कई विदेशी डिप्लोमैट्स भी कार्यक्रम में शामिल हुए. बताया जा रहा है, कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी जरदारी को राष्ट्रपति बनने की बधाई दी हैं. उन्होंने कहा- चीन-पाकिस्तान दो अच्छे दोस्त, भाई और पड़ोसी हैं.


 


दो देशों की मजबूत दोस्ती हमारे लोगों के लिए एक खजाना है. पिछले कई सालों से हमने अलग-अलग क्षेत्रों में एक-दूसरे का सहयोग किया है. चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. इससे हमारे द्विपक्षीय रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं.


 


तो वहीं दूसरी तरफ, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक और उनकी पार्टी PTI के कार्यकर्ताओं ने पेशावर और लाहौर समेत कई शहरों में प्रदर्शन किए. यह प्रदर्शन चुनाव में हुई धांधली को लेकर किया गया था.  पाकिस्तानी मीडिया 'द डॉन' के मुताबिक, PTI 8 फरवरी को हुए चुनाव के बाद से आरोप लगा रही है, कि उनका जनादेश चोरी हुआ है और चुनाव में धांधली हुई है. इसके विरोध में खान समर्थक और PTI कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.  खान समर्थकों का कहना है, कि पाकिस्तान की आवाम कभी भी भ्रष्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को स्वीकार नहीं कर सकती है.


 


जरदारी की पार्टी पीपीपी ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर एक पोस्ट में कहा, कि इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में आसिफ अली जरदारी के शपथ लेने पर सभी लोकतंत्र समर्थकों को बधाई, ईश्वर ने चाहा तो आसिफ अली जरदारी देश की राजनीतिक, लोकतांत्रिक और संवैधानिक स्थिरता के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में अपनी सभी शक्तियों का उपयोग करेंगे. देश विकास की राह पर अग्रसर होगा. हम आगे बढ़ेंगे. 


 


शपथ ग्रहण समारोह में पंजाब और सिंध के मुख्यमंत्री शामिल हुए, लेकिन खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर, जो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी से हैं, उपस्थित नहीं थे. 



 


जिनपिंग ने दी बधाई


 


9 मार्च को पाकिस्तान में राष्ट्रपति पद के चुनाव हुए. इसमें आसिफ अली जरदारी ने जीत हासिल की है. बता दें, वह पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति चुने गए है. ऐसे में चीन ने भी उन्हें बधाई दी है. साथ ही कहा- दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती है. दुनिया में मौजूदा बदलावों के मद्देनजर हमारे संबंधों का रणनीतिक महत्व और भी ज्यादा अहम हो गया है.


 


जरदारी ने  230 वोटों से हराया


 


बताया जा रहा है, कि जरदारी ने इमरान खान के कैंडिडेट महमूद खान अचकजई को 230 वोटों से हराया है. वहीं, उन्हें 411 वोट मिले, जबकि अचकजई सिर्फ 118 वोट हासिल कर पाए. राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हुए पाकिस्तान नेशनल असेंबली के कुछ सदस्यों ने इमरान खान जिंदाबाद के नारे लगाए थे.


 


जरदारी की शिक्षा कराची में 


 


1955 में जन्में जरदारी का पालन-पोषण और शिक्षा कराची में हुआ था. उनकी शादी पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो से हुई थी, जिनकी दिसंबर 2007 में हत्या कर दी गई थी. 


 


दूसरी बार राष्ट्रपति बने आसिफ अली जरदारी


 


आसिफ अली जरदारी दूसरी बार पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति चुने गए हैं. वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टों के पति और PPP चेयरमैन बिलावल भुट्टो के पिता हैं. जरदारी को पाकिस्तान में मिस्टर 10% कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वह बेनजीर की सरकार के दौरान किसी भी प्रोजेक्ट की शुरुआत या सरकार से लोन की इजाजत दिलवाने के बदले 10% के कमीशन की मांग करते थे. भ्रष्टाचार, बैंक फ्रॉड, किडनैपिंग और हत्या के आरोपों में जरदारी ने करीब साढ़े 8 साल जेल की सजा भी काटी है. बेनजीर ने अपनी राजनीतिक वसीयत में जरदारी को पार्टी नेता के रूप में अपना उत्तराधिकारी नामित किया था.


 


 


2007 में भुट्टो की हत्या के बाद नवाज की पार्टी PML-N के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और जनरल परवेज मुशर्रफ को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इसके बाद 6 सितंबर 2008 को जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे.


 


1988 में एक प्लेन क्रैश में पाकिस्तान के तत्कालीन तानाशाह जनरल जिया-उल-हक की मौत हो गई. इसके बाद बेनजीर की पार्टी ने आम चुनावों में जीत हासिल की और भुट्टो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. जरदारी ज्यादातर बेनजीर सरकार से दूर ही रहते थे. हालांकि, इस दौरान सरकार से जुड़े कई मामलों में जरदारी पर घोटाले के आरोप लगने लगे थे.


 


मिस्टर 10%  क्यों कहा जाता है


 


1990 में भुट्टो की सरकार गिर गई. मीडिया रिपोर्ट्स में जरदारी को इसकी एक अहम वजह बताया गया है. सरकार गिरने के बाद बेनजीर-जरदारी के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई. इसके बाद पाकिस्तान के केयरटेकर PM बने गुलाम मुस्तफा जटोई ने जरदारी पर भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी थी. जटोई ने जरदारी पर आरोप लगाया कि वो अपनी पत्नी के प्रधानमंत्री होने का फायदा उठाते थे. वह किसी भी प्रोजेक्ट की शुरुआत या सरकार से लोन की इजाजत दिलवाने के बदलने 10% के कमीशन की मांग करते थे. यहीं से जरदारी को मिस्टर 10% कहा जाने लगा.


 


इसके बाद जरदारी के ऊपर भ्रष्टाचार, किडनैपिंग, बैंक फ्रॉड और हत्या की साजिश जैसे कई आरोप लगे. उन्हें 1997 से 2004 तक जेल में रखा गया. नवंबर 2004 में जमानत दे दी गई थी. हालांकि, हत्या के मुकदमे की सुनवाई में शामिल न होने के बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था.