INS Arighat: पाकिस्तान एक तरफ तालिबान और बलूच लड़ाकों से परेशान है तो दूसरी ओर उसके लिए नया खौफ पैदा हो गया है. इस्लामाबाद के इस नए खौफ की वजह है भारत की नई परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात, जिसे 24 घंटे पहले विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. पिछले 24 घंटे से इस्लामाबाद में अरिघात की चर्चा हो रही है. असल में पाकिस्तानी सेना ने परमाणु पनडुब्बी का नाम तो सुना है..पर उसके पास इसे बनाने या खरीदने के पैसे नहीं हैं.


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गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने INS अरिघात परमाणु पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल किया. इसके साथ ही भारत के पास अब दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी हैं, जिनका निर्माण भारत में ही हुआ है. जबकि पाकिस्तान ने परमाणु पनडुब्बी बनाना तो दूर उसका नाम तक नहीं सुना है.


क्यों अरिघात से कांपा पाकिस्तान


पाकिस्तान के डर की वजह डीटेल में समझिए.अरिघात से पहले भारत ने एक और स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन बनाई, जिसका नाम है अरिहंत और वो भारतीय नौसेना में शामिल है. अबतक ये बताया गया था कि अरिघात और अरिहंत एक जैसे हैं. हालांकि नौसेना सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, अरिघात में ज्यादा मिसाइलें लोड की जा सकती हैं. इसका न्यूक्लियर रिएक्टर भी ज्यादा ताकतवर है. इसमें ज्यादा संख्या में लंबी दूरी की K-15 मिसाइलें रखी जा सकती हैं.


ज्यादा मिसाइलों का मतलब है पाकिस्तान और चीन पर ज्यादा खतरा. अब भारत का न्यूक्लियर ट्रायड और ताकतवर हो गया है. न्यूक्लियर ट्रायड का मतलब है जल थल और हवा से परमाणु हमले की क्षमता और अरिघात ने भारत की इस ताकत को और बढ़ा दिया है. हालांकि पाकिस्तान में इमरजेंसी की वजह है भारत की तीसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी जो जल्द ही नौसेना में शामिल हो सकती है.


अभी तो अरिधमन का ट्रेलर बाकी है


पाक एक्सपर्ट कमर चीमा ने कहा, एक थर्ड न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिधमन जो बहुत बड़ी है. आधुनिक है. 7000 टन की है वो अंडर कंस्ट्रक्शन है और बैलिस्टिक मिसाइल भी लेकर जाएगी. जिनकी रेंज 3000 किलोमीटर तक हो सकेगी. अब चीन के अंदर भी चर्चा हो रही है. चाइनीज परेशान हैं कि सेकेंड न्यूक्लियर पावर वाली जो सबमरीन है चाइनीज उसको बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन ही समझते हैं. 


 किसी भी पनडुब्बी का सबसे बड़ा हथियार होता है बिना आवाज किए समंदर की लहरों के नीचे चलना और परमाणु पनडुब्बी के लिये खामोशी से ऑपरेशन करना और भी ज्यादा जरूरी है.


बताया गया है कि अरिघात में ऐसी तकनीक इस्तेमाल की गई है जो इसे साइलेंट तरीके काम करने लायक बनाती है. कम आवाज का मतलब है कि दुश्मन के सोनार इसे ढूंढ नहीं पाएंगे और समंदर में अरिघात का पता लगाना और भी ज्यादा मुश्किल होगा.


समंदर में भारत की सबमरीन को आसानी से ढूंढना मुश्किल होगा और ये पाकिस्तान के साथ चीन के लिये भी बड़ा चैलेंज है.


समंदर में चल रहा ट्रायल


भारतीय नौसेना को ताकतवर बनाने का सपना पूरा हो रहा है. INS अरिघात के बाद इससे ज्यादा बड़ी अगली सबमरीन लॉन्च होगी. इसका नाम होगा INS अरिधमान और अभी इसका समंदर में ट्रायल चल रहा है, जिसके खत्म होते ही इसे नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा. ये भारत में बनी तीसरी परमाणु पनडुब्बी होगी.


 लेटेस्ट खबर ये है कि अगली पनडुब्बी और भी ज्यादा बड़ी होगी. यानी उसमें ज्यादा संख्या में और ज्यादा बड़ी मिसाइलों को रखने की जगह भी होगी. पनडुब्बी की संख्या ज्यादा होने से समंदर में ताकत तेजी से बढ़ती है.और अरिघात के आते ही चीन और पाकिस्तान में भारत को लेकर डर बढ़ गया है.