Pakistan Hockey Team: पाकिस्तान में बदहाली और आर्थिक कंगाली का दायरा अब बढ़ गया है. पहले आम लोग इसकी चपेट में थे.अब बड़े बड़े खिलाड़ी तरस रहे हैं. कंगाली के इस वायरस की लेटेस्ट शिकार है पाकिस्तान की हॉकी टीम, जिसने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में कांस्य पदक जीता है और पदक जीतने पर हर पाकिस्तानी खिलाड़ी को मिलेंगे सिर्फ आठ हजार दो सौ रुपए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये चार दिन पहले का माहौल है. कराची से लेकर लाहौर तक, पाकिस्तानी हॉकी के फैंस अपनी टीम को कोस रहे थे.वजह थी एशिया चैंपियंस कप में भारत के मिली हार. पाकिस्तान को भारत ने 4-0 से हरा दिया था.


अपनी किस्मत को कोस रहे पाकिस्तानी खिलाड़ी


चार दिनों में हालात बदल गए, जज्बात बदल गए. पहले हॉकी फैंस नाराज थे. अब पाकिस्तानी हॉकी टीम के खिलाड़ी अपना सिर धुन रहे हैं. क्योंकि ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर हर खिलाड़ी को 8 हजार तीन सौ बहत्तर रुपए मिलेंगे.


भारत में मनरेगा के तहत हर मजदूर को प्रतिदिन औसतन 300 रुपए मिलते हैं. यानी महीने के तकरीबन 9 हजार, जो पाकिस्तानी खिलाड़ियों की ईनाम राशि से ज्यादा है.


देश की राजधानी दिल्ली में अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 673 रुपए प्रतिदिन है. यानी महीने के 20 हजार रुपए. ये भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों की ईनाम राशि से ज्यादा है.


देश छोड़कर भाग रहे खिलाड़ी


पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने चैंपियंस कप के लिए कम से कम एक महीना तो पसीना बहाया होगा. हॉकी स्टिक से लेकर डाइट तक खर्च भी किया होगा और कंगाल फेडरेशन ने हाथ में थमा दिए आठ हजार तीन सौ बहत्तर रुपए. शायद यही वजह है कि पाकिस्तानी हॉकी खिलाड़ी अब देश छोड़कर फरार हो रहे हैं. जुलाई के महीने में पाकिस्तानी टीम नीदरलैंड्स गई थी...टूर्नामेंट तो हार गई लेकिन तीन खिलाड़ी लापता हो गए.


पाकिस्तानी हॉकी टीम के 3 खिलाड़ी मुर्तजा याकूब, एहतेशाम असलम और अब्दुर रहमान हॉकी फेडरेशन के कैंप में नहीं पहुंचे. जब फेडरेशन ने जांच की तो पता चला कि तीनों खिलाड़ी शेनगेन वीजा के आधार पर पोलैंड से नीदरलैंड्स चले गए थे, जहां उन्होंने सरकार से राजनीतिक शरण मांग ली है.


इमरान खान की रियासत ए मदीना से लेकर शहबाज शरीफ के नए पाकिस्तान तक जुमले बड़े-बड़े फेंके जाते हैं. लेकिन हकीकत ये है कि पाकिस्तान में...सरकार से लेकर सिस्टम तक...सब शून्य बटे सन्नाटा हो चुके हैं.