2020 का वो हादसा, जिससे खौफ खाता है PAK, रोजे पर पायलटों-क्रू मेंबर्स को दिया आदेश
Pakistan Airlines: कॉरपोरेट सिक्योरिटी मैनेजमेंट और क्रू मेडिकल सेंटर दोनों ने ही सिफारिश की है कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के पायलट और क्रू मेंबर्स को उड़ान के दौरान रोजा नहीं रखना चाहिए.
Ramzan: रमजान के महीने में पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस कंपनी PIA ने फिर एक बाद अपने पायलट्स और क्रू मेंबर्स को ड्यूटी पर रोजा रखने से मना कर दिया है. यह पहली बार नहीं है जब पीआईए ने अपने पायलट्स और क्रू मेंबर्स को ऐसा आदेश दिया हो. पीआईए ने इसके पीछे डॉक्टरी सलाह का हवाला देते हुए कहा है कि रोजा रखने से शख्स को डीहाइड्रेशन, आलस और नींद की दिक्कतों से जूझना पड़ता है.
क्रू मेंबर्स-पायलट्स को दिए आदेश
कॉरपोरेट सिक्योरिटी मैनेजमेंट और क्रू मेडिकल सेंटर दोनों ने ही सिफारिश की है कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के पायलट और क्रू मेंबर्स को उड़ान के दौरान रोजा नहीं रखना चाहिए. पीआईए के एक अधिकारी ने कहा, 'इन सिफारिशों के आधार पर पीआईए की टॉप मैनेजमेंट ने तत्काल प्रभाव से पायलट और क्रू मेंबर्स को आदेश जारी किए हैं.'
पाकिस्तान का वो हादसा...
इन सिफारिशों के हवाले से पायलट और क्रू मेंबर्स से कहा है कि जब वे इंटरनेशनल या डोमेस्टिक फ्लाइट्स की ड्यूटी पर हों तो रोजा न रखें. विमान जांच बोर्ड की एक टीम ने मई 2020 में कराची हवाई अड्डे के पास एक रिहायशी सोसाइटी के भीड़ भरे इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान की दुर्घटना पर पिछले महीने अपने रिजल्ट जारी किए थे. बोर्ड ने इस हादसे के लिए मानवीय गलतियों को जिम्मेदार ठहराया है. रिपोर्ट में पीआईए और नागरिक उड्डयन प्राधिकरण को इस बात के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया है कि ड्यूटी के दौरान पायलट को रमजान के महीने में रोजा रखना चाहिए या नहीं, इस संबंध में साफ नियम नहीं हैं.
देश पर बोझ है पीआईए
पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) न सिर्फ सरकार बल्कि देश के लिए भी बोझ बन चुकी है. इसी साल फरवरी में पाकिस्तान की केयरटेकर सरकार और बैंक इस नतीजे पर पहुंचे थे कि कर्ज को पुनर्गठित कर दिया जाए. बजट अग्रीमेंट के तहत, सरकार पीआईए की बिक्री से होने वाली आय का इस्तेमाल प्रिंसिपल पेमेंट के लिए करेगी. इसके बदले में बैंक 10 साल के कर्ज रोलओवर को मंजूरी देगा वो भी 12 प्रतिशत के सालाना ब्याज दर पर. ब्याज का भुगतान ही पाकिस्तानी रुपये में सालाना 32.2 बिलियन बैठता है.
(पीटीआई इनपुट के साथ)