Pakistan News: पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक और झटका दिया है. खान के भतीजे हसन नियाजी को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है. 2023 दंगों से जुड़े मामलों में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) से जुड़े 60 और लोगों को सजा सुनाई गई है. दोषी करार दिए गए लोगों पर 2023 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों में शामिल होने का आरोप था. विरोध प्रदर्शन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ किए गए थे. इमरान खुद जेल में बंद हैं और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को इसी हफ्ते जिला अदालत से अंतरिम जमानत मिली है.


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9 मई, 2023 को विरोध प्रदर्शनों के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों में शामिल संदिग्धों के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त सैन्य अदालतों ने पिछले सप्ताह 25 लोगों को 2 से 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई थी. खान की पार्टी ने फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि सैन्य अदालतों को आम लोगों पर मुकदमे चलाने का कोई अधिकार नहीं है.


पाकिस्तान के मंत्री ने आम लोगों पर मुकदमे चलाने का बचाव किया


पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने इमरान खान के नेतृत्व वाले विपक्षी दल PTI से सैन्य मुकदमों के मुद्दे का राजनीतिकरण करने या इसे लेकर विवाद पैदा करने से बचने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'जब किसी रक्षा प्रतिष्ठान पर हमला किया जाता है या उसकी संपत्ति को आग लगा दी जाती है, तो दोषियों को पकड़ना संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है. जिस तरह रेलवे पुलिस रेलवे परिसरों में अपराधों से निपटती है, उसी तरह सैन्य अदालतें सैन्य संपत्तियों को निशाना बनाने के अपराधों से निपटती हैं. इसलिए, जब सैन्य संपत्तियों पर हमले होते हैं, तो सैन्य अधिनियम लागू किया जाता है.'


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खान के समर्थकों में यह चिंता बढ़ गई है कि पूर्व नेता से जुड़े मामलों को भी सैन्य अदालतों को सौंपा जा सकता है. अमेरिका ने 25 नागरिकों को दोषी ठहराए जाने पर 'गहरी चिंता' व्यक्त की और दावा किया कि सैन्य अदालतों में न्यायिक स्वतंत्रता, पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया की गारंटी का अभाव है. मंगलवार को जारी एक संक्षिप्त बयान में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वाशिंगटन पाकिस्तानी अधिकारियों से देश के संविधान में निहित निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के अधिकार का 'सम्मान' करने की अपील करता रहेगा.


ब्रिटेन ने पाकिस्तान सरकार से नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध (आईसीसीपीआर) के तहत अपनी जिम्मेदारी को बनाए रखने की अपील की. विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय के प्रवक्ता ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'सैन्य अदालतों में पारदर्शिता और स्वतंत्र जांच का अभाव है और वे निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को कमजोर करती हैं.' हालांकि, प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन अपनी कानूनी कार्यवाहियों में पाकिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करता है. (एजेंसी इनपुट)


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