Pakistani Beggar Family: पाकिस्तान के गुजरांवाला में भिखारियों के एक परिवार ने अपनी दादी के चालीसवें के लिए ऐसा आयोजन किया, जिसने सभी को हैरान कर दिया. इस दावत में 20,000 मेहमानों को बुलाया गया, जिनकी आवाजाही के लिए 2,000 गाड़ियां मंगाई गईं. सवा करोड़ रुपये की लागत से हुए इस आयोजन में मटन, मुरब्बा और अन्य महंगे व्यंजन परोसे गए.


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सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल


इस आयोजन का वीडियो वायरल होने के बाद पाकिस्तान को लेकर एक बार फिर से "भिखारी" जैसे शब्दों का इस्तेमाल होने लगा. सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर तंज कस रहे हैं. पाकिस्तानियों के बयान भी इस चर्चा को और हवा दे रहे हैं.


भिखारियों का फलता-फूलता कारोबार


वीडियो में एक पाकिस्तानी व्यक्ति ने कहा कि भीख मांगना वहां पेट भरने की मजबूरी नहीं, बल्कि एक बढ़ता हुआ बिजनेस है. यह ऐसा काम बन गया है जिसमें पूंजी का निवेश नहीं करना पड़ता और जो भी मिलता है, वह सिर्फ मुनाफा होता है.


10% आबादी भिखारियों में शामिल


पाकिस्तान की करीब 10% आबादी भीख मांगने को पेशा बना चुकी है. यह स्थिति केवल घरेलू शर्मिंदगी का कारण नहीं बनी, बल्कि विदेशों में भी समस्याएं खड़ी कर रही है.


खाड़ी देशों में पाकिस्तानी भिखारियों पर सख्ती


यूएई और इराक जैसे देशों ने हाल ही में पाकिस्तानी भिखारियों को अपने यहां से डिपोर्ट कर दिया. सऊदी अरब ने भी यह साफ कर दिया कि अब हज पर वही पाकिस्तानी जा पाएंगे, जिनके पास रिटर्न टिकट होगा.


पाकिस्तानियों का राष्ट्रीय धंधा


सऊदी अरब की सड़कों पर भीख मांगने पर पाबंदी लगने के बाद पाकिस्तान में कई लोग इसे अपना पारंपरिक व्यवसाय कहने लगे हैं. कुछ का कहना है कि यह पाकिस्तान का "खानदानी धंधा" बन चुका है.


भिखारियों का एक्सपोर्ट


पाकिस्तानी नागरिक यह कहने लगे हैं कि जो किसी देश ने नहीं किया, वह उन्होंने कर दिखाया – भिखारियों का "एक्सपोर्ट". यह तंज पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय छवि पर गंभीर सवाल खड़े करता है.


शहबाज शरीफ को राष्ट्रीय रोजगार की सलाह


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार कहा था कि जब वह विदेश जाते हैं, तो लोग समझते हैं कि वह भीख मांगने आए हैं. अब सोशल मीडिया पर लोग उन्हें सलाह दे रहे हैं कि भीख को पाकिस्तान का "राष्ट्रीय रोजगार" घोषित कर दें, ताकि सरकारी खजाने में कुछ पैसे आ सकें.