इस्लामाबाद: अमेरिका की ओर से आतंकवादियों की ‘शरण स्थली’ वाले देशों की सूची में डाले जाने के एक दिन बाद पाकिस्तान ने गुरुवार (20 जुलाई) को कहा कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए पूरी तरह संकल्पित है और उसने इस समस्या के खिलाफ ठोस कदम उठाए हैं.


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पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे प्रयास सफल रहे हैं और अमेरिका सहित कई देशों ने इसे स्वीकार किया है.’ उन्होंने कहा कि अमेरिका और दूसरे देशों से कई शिष्टमंडल पाकिस्तान आए और उन इलाकों का दौरा किया जहां से ‘आतंकवाद का सफलतापूर्वक सफाया’ किया गया है. अमेरिकी विदेश विभाग ने एक दिन पहले ही अपनी वार्षिक ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म’ में कहा कि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान या हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की. 


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अमेरिका ने आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करने वाले देशों की सूची में बुधवार (19 जुलाई) को पाकिस्तान को शामिल करते हुए कहा कि ‘लश्कर ए तैयबा’ और ‘जैश ए मोहम्मद’ जैसे आतंकवादी संगठनों ने देश के अंदर 2016 में संचालित होना, प्रशिक्षण देना, संगठित होना और धन जुटाना जारी रखा. विदेश विभाग ने अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी अपनी सालाना ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म’ रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के अंदर हमले करने वाले तहरीक ए पाकिस्तान जैसे संगठनों के खिलाफ हमले किए.


विदेश विभाग ने कहा, ‘पाकिस्तान ने अफगान तालिबान या हक्कानी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की, ना ही अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों के लिए खतरा पेश करने वाली उनकी क्षमता सीमित की. हालांकि, पाकिस्तान ने अफगान नीत शांति प्रक्रिया में दोनों संगठनों को लाने की कोशिशों का समर्थन किया.’


रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पाकिस्तान ने दूसरे देशों को निशाना बनाने वाले लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे संगठनों के खिलाफ 2016 में उपयुक्त कार्रवाई नहीं की. इन संगठनों ने पाकिस्तान में संचालित होना, प्रशिक्षण देना, संगठित होना और धन जुटाना जारी रखा है.’ इसने कहा कि भारत पर हमले जारी हैं जिनमें माओवादियों और पाक आधारित आतंकवादियों के हमले शामिल हैं. इसने कहा कि भारतीय अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर में सीमा पार से होने वाले हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना जारी रखा है.


विदेश विभाग ने कहा कि जनवरी 2016 में पंजाब के पठानकोट में एक आतंकी हमला हुए था जिसके लिए जैश ए मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया गया था. इसके बाद भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग मजबूत करने और अमेरिका के साथ सूचना साझा करने की अपील की थी.