इंसानी दिमाग में बदलाव करने जा रहे Elon Musk, तबाही की तरफ जाएगी दुनिया!

मस्क की ह्यूमन कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी न्यूरालिंक (Neuralink) माइंड रीडिंग चिप बालों की तुलना में भी 10 गुना छोटे होंगे. इनका इस्तेमाल ब्रेन सर्जरी जैसे जटिल कामों में किया जाएगा.

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न्यूरालिंक के प्रयोग साइंस को मेडिकल से जोड़ने के लिए

एलन मस्क को धरती पर सबसे ज्यादा महत्वाकांक्षी व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है. वो पहले ही कई नामुमकिन माने जा चुके कामों में न सिर्फ जुटे हैं, कई कर के दिखा भी चुके हैं. चाहे अंतरिक्ष यात्रा पर सिर्फ घूमने जाने की बात हो, या बिजली से चलने वाली सुपर कार, मंगल पर भी वो इंसानी बस्तियां बसाने में जुटे हैं, तो ट्यूब रेल जैसे प्रोजेक्ट भी वो चला रहे हैं. ऐसे में वो अब एक ऐसे काम में जुट गए हैं, जिसके जरिए इंसान के दिमाग पर काबू पाया जा सकता है और उसे कंप्यूटर के माध्यम से भी खास कमांड दिया जा सकता है. हालांकि मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के प्रयोग साइंस को मेडिकल से जोड़ने के लिए हैं, जिससे अल्जाइमर, डिमेंशिया, रीढ़ की हड्डी टूटने से अपंग हो चुके लोगों की जिंदगियों के लिए भी नई उम्मीद जगी है. 

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सालों से कंपनी कर रही काम

न्यूरालिंक सालों से जानवरों पर न्यूरल इंटरफेस की टेस्टिंग कर रही है. पिछले साल जारी एक वीडियो में न्यूरालिंक ने गएक सुअर पर इस चिप की टेस्टिंग भी की थी. उस वीडियो में न्यूरालिंक ने सुअर के दिमाग में लगाई गई एक वायर्ड चिप के आधार पर रिकॉर्ड करने और एक्शन की भविष्यवाणी करने की अपनी क्षमता को दिखाया था. अब मस्क की कंपनी अपने प्रयोग इंसानों के ऊपर करने जा रही है.

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बाल से 10 गुना छोटे होंगे न्यूरल सिस्टम चिप

एलन मस्क (Elon Musk) की ह्यूमन कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी न्यूरालिंक (Neuralink) माइंड रीडिंग चिप बालों की तुलना में भी 10 गुना छोटे होंगे. इनका इस्तेमाल ब्रेन सर्जरी जैसे जटिल कामों में किया जाएगा. अभी ये खोज शुरुआती स्तर पर है, लेकिन इसे इंसानी दिमाग को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. 

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19 तरह के जानवरों पर हो चुके हैं प्रयोग

न्यूरालिंक कंपनी अबतक 19 तरह के जानवरों पर इस खास चिप की टेस्टिंग कर चुकी है. कंपनी ने कहा है कि उनकी टेस्टिंग की सफलता दर 87 फीसदी है. हालांकि इसे इंसानी दिमाग के साथ जोड़ना अभी नामुमकिन माना जा रहा है, लेकिन एलन मस्क नामुमकिन कामों को मुमकिन बनाने के लिए जाने जाते हैं. 

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मानव सभ्यता के लिए खतरा भी बन सकती है ये खोज?

हर वैज्ञानिक खोज के दो पहलू होते हैं. किसी भी ताकत का गलत इस्तेमाल कभी भी हो सकता है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट को लेकर भी ऐसे सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि अगर किसी इंसानी दिमाग से छेड़छाड़ होती है और उसे कोई काम करने के लिए कंप्यूटर के जरिए कमांड दिया जाता है, तो वो इंसान किसी भी काम में इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में इस तरफ भी ध्यान देने की जरूरत होगी. बहरहाल, अभी ये प्रोजेक्ट शुरुआती दौर में है. लेकिन ये प्रोजेक्ट कितना सफल होता है, इसपर दुनिया की निगाहें जरूर टिकी हैं. 

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