Emmy अवॉर्ड विनर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, घर के कोने में मिला ममी बन चुका शव

उनका शव घर के ही एक कोने में पड़ा मिला, जहां कूड़ा और खराब सामान रखा रहता था. उनका शव ममी में बदल गया था. ऐसे में माना जा सकता है कि उनकी मौत कई सप्ताह पहले ही हो चुकी थी.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Fri, 02 Apr 2021-8:02 pm,
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Evelyn Sakash की मौत

न्यूयॉर्क: एम्मी अवॉर्ड विनर प्रोडक्शन डिजाइनर एवलिन सकश की उनके ही घर में मौत हो गई. उनकी मौत कब हुई, इस बारे में किसी को कोई अंदाजा नहीं है, क्योंकि उनका शव जब बरामद हुआ, तो वह ममी में बदल चुका था. तस्वीर: GoFundMe

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Hoarding Disorder से पीड़ित थी एवलिन

एवलिन सकश पिछले कुछ समय से Hoarding Disorder से पीड़ित थीं. वो न्यूयॉर्क स्थित अपने घर में अकेले रह रही थीं. उनकी पड़ोसी ने बताया कि उनके पति को एवलिन के घर से दुर्घंध आती महसूस हो रही थी. उन्होंने इसके लिए पुलिस को भी सूचित किया था, लेकिन पुलिस ने मामले पर ध्यान नहीं दिया.

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ममी में बदल चुका था शव

द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, एलविन की बहन ने बताया कि वो पिछले काफी समय से एवलिन की खोज कर रहे थे. लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पा रहा था. एवलिन Hoarding Disorder से पीड़ित थीं और लोगों के संपर्क में नहीं थीं. जिसके बाद पुलिस की मदद लेनी पड़ी और उनका शव घर के ही एक कोने में पड़ा मिला. उनका शव ममी में बदल गया था. ऐसे में माना जा सकता है कि उनकी मौत कई सप्ताह पहले ही हो चुकी थी.

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क्या है होर्डिंग डिसॉर्डर?

होर्डिंग डिसॉर्डर (Hoarding Disorder) और नॉर्मल कलेक्टर होने में फर्क है. किसी सामान को कलेक्ट करने वाला व्यक्ति खास चीजों में ही इंटरेस्ट रखता है. वो अपने कलेक्शन को बढ़ाता है. जैसे सिक्कों को कलेक्ट करने वाला व्यक्ति, या मूवी टिकट्स को कलेक्ट करके रखने वाला व्यक्ति. या जो पेंटिंग या किसी खास चीज में अपना इंटरेस्ट रखते हैं. लेकिन होर्डिंग डिसॉर्डर (Hoarding Disorder) से पीड़ित व्यक्ति अपने घर के हर सामान को अपने पास ही रखना चाहता है, वो किसी भी चीज को बेकार मानकर फेंकता नहीं. चाहे फिर वो कूड़ा या खराब हो चुका पुराना सामान ही क्यों न हो. 

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किस तरह के लोग होते हैं होर्डिंग डिसॉर्डर से प्रभावित?

अधिकतर बड़ी उम्र के लोग इसके शिकार होते हैं. खासकर उनके जीवन से जुड़ी चीजों को लेकर. एक शोध के मुताबिक इस डिसॉर्डर (Hoarding Disorder) से पुरुषों के पीड़ित होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं. इसमें भी उन लोगों पर ज्यादा असर होता है, जो एकाकी जीवनशैली के मुताबिक अकेले में जीते हैं, या अन्य वजहों से एकाकीपन के शिकार होते हैं. 

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