हैदराबादी बच्चे ने अफ्रीका की सबसे खतरनाक किलिमंजारो की चोटी को किया फतह, सिर्फ 7 साल की उम्र में फहराया तिरंगा

विराट ने अपने ट्रेनर भारत और माता-पिता के साथ इस चोटी पर चढ़ाई की शुरुआत 2 मार्च को की थी. लगातार 5 दिनों तक चढ़ाई करने के बाद उन्होंने किलिमंजारो के सबसे ऊंचे प्वॉइंट को फतह किया

प्रसाद भोसेकर Fri, 19 Mar 2021-5:50 pm,
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हैदराबादी बच्चे ने पाई किलिमंजारो पर विजय

किलिमंजारो पहाड़ को दुनिया की मुश्किल चोटियों में से एक माना जाता है. इसकी वजह है उसका ज्वालामुखी से बने होना. ये पर्वत चोटी अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी है और तंजानिया देश में स्थित है. यूं तो 7 साल की उम्र घर और पार्क में खेलने की होती है. इस उम्र में नन्हें मुन्ने बच्चे स्कूल तक जाने में आना कानी करते हैं, लेकिन एक दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले एक 7 साल के हैदराबादी बच्चे विराट ने किलिमंजारो को ही फतह कर लिया. और उसकी चोटी पर तिरंगा फहरा दिया.

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महज 5 दिनों में किलिमंजारो को कर लिया फतह

किलिमंजारो की ऊंचाई 5,895 मीटर है. ये तीन ज्वालामुखियों के बीच स्थित है. और अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी है. इसकी सीधी ढलाने इसे फतह करने के लिए मुश्किल बनाती हैं. यही वजह है कि इस पर हर साल हजारों लोग चढ़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन फतह कुछ ही कर पाते हैं. लेकिन इस बार हैदराबाद के 7 साल के बच्चे विराट चंद्र थेलुकुंता ने महज 5 दिनों में माउंट किलिमंजारो को फतह कर लिया. आइए, जानते हैं किस तरह से विराट ने इस काम को अंजाम दिया.

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पर्वतारोही बनना लक्ष्य

विराट ने अपने ट्रेनर भारत और माता-पिता के साथ इस चोटी पर चढ़ाई की शुरुआत 2 मार्च को की थी. लगातार 5 दिनों तक चढ़ाई करने के बाद उन्होंने किलिमंजारो के सबसे ऊंचे प्वॉइंट को फतह किया और वहां तिरंगा लहरा दिया. विराट के माता पिता का कहना है कि उनके बेटे की ख्वाइश है कि वो दुनिया की हर ऊंची जगह को फतह करे और उसपर तिरंगा लहरा दे. 

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पर्वतारोहण की नहीं थी पहले से कोई ट्रेनिंग

विराट के माता पिता ने कहा कि विराट ने पर्वतारोहण की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. उसे तो ट्रेनर भारत ने सिर्फ इसी ट्रिप के लिए पहली बार ट्रेन किया था. भारत ने बताया कि किलिमंजारो पर चढ़ने के लिए सबसे बड़ी चुनौती मौसम की होती है. पूरे सफर पर चार अलग अलग मौसम मिलते हैं, जिनसे सामजस्य बिठाना आसान नहीं होता. 

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आधे सफर तक माता-पिता भी रहे साथ

किलिमंजारो के आधे सफर तक विराट के माता-पिता ने भी उनका साथ दिया. हालांकि 3000 मीटर की ऊंचाई से आगे का सफर विराट ने अपने ट्रेनर भारत के साथ ही पूरा किया. इस दौरान स्थानीय तंजानियाई गाइड उनके साथ बने रहे. इस पूरे सफर में चढ़ाई के दौरान जहां 5 दिन का समय लगा, वहीं उतरने में सिर्फ एक दिन का समय लगा. 

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