Israel Army: गोला बारूद से खेलती हैं ये हसीनाएं, देखने में जितनी सुंदर उससे भी ज्यादा खतरनाक हैं इजरायल की लेडी सोल्जर्स
इजरायल साल 1948 में आजाद हुआ था. इजरायल दुनिया के उन 9 देशों में शामिल है जहां महिलाओं के लिए मिलिट्री सर्विस अनिवार्य है.
इजरायल एक ऐसा देश जो आकार और आबादी में बहुत बड़ा नहीं, लेकिन ताकत के मामले में किसी पर भी भारी है. इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी मजबूत आर्मी है. जिसमें देश के हर नागरिक को काम करना होता है.
कुछ समय पहले इजरायल की सेना ने एक बदलाव के तहत लेडी ऑफिसर्स को भी मंजूरी दी थी. इसके तहत अब इजरायल की सेनाओं ने कॉम्बेटट रोल में महिलाओं की संख्याय बढ़ाने का फैसला किया है और लेडी ऑफिसर्स को अब आर्टिलरी, एयर डिफेंस, घरेलू मोर्चे और अन्य कमानों में कॉम्बे्ट रोल में लाया गया है.
इजरायल साल 1948 में आजाद हुआ था. इजरायल दुनिया के उन 9 देशों में शामिल है जहां महिलाओं के लिए मिलिट्री सर्विस अनिवार्य है. महिलाएं 1948 से लगातार आर्मी में सेवाएं दे भी रही हैं. यही वजह है कि इजरायल की आर्मी शुरू से इतनी मजबूत है.
महिलाओं का योगदान बेशक शुरू से इजरायल की आर्मी में रहा हो, लेकिन उन्हें वो बड़ी जिम्मेदारी कभी नहीं मिली थी. लेकिन अब इजरायल ने इन लेडी ऑफिसर्स को कॉम्बेीट रोल में लाकर बड़ा कदम उठाया है. हालांकि यह बात भी बता दें कि सिर्फ यहूदी महिलायें ही यहां सेना में भर्ती हो सकती है.
साल 2021 तक इजरायल डिफेंस फोर्सेज में महिलाओं की भागीदारी 40 पर्सेंट से अधिक थी. साल 2018 में करीब 10 हजार महिलाओं को परमानेंट कमीशन मिला था. इजरायली मिलिट्री के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1962 से 2016 तक देश की सेवा करते हुए 535 लेडी सोल्जंर्स शहीद हुईं थीं.
साल 2014 इजरायली सेना ने बताया था कि 4 फीसदी से भी कम महिलायें कॉम्बेट रोल जैसे कि लाइट इनफेंट्री और हेलीकॉप्टर या फिर फाइटर पायलट्स की भूमिका में हैं. 2020 में 55 फीसदी महिलाओं को आईडीएफ में शामिल होने के योग्य माना गया था. नॉन कॉम्बेट रोल के लिए 24 महीने की सर्विस होती है, जबकि कॉम्बेट रोल में 30 महीने की सर्विस होती है.
साल 2001 तक महिलाओं ने पांच साल की बेसिक ट्रेनिंग के बाद वीमेन्स कोर में सर्व किया जिसे हिब्रू में चेन के नाम से जानते हैं. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक इजरायल डिफेंस फोर्सेज के 88 फीसदी पद महिलाओं के लिए तय किए गए थे.