बिना `दिल` के 555 दिन जिंदा रहा शख्स, जानें कैसे हुआ ये चमत्कार

इंसान को जिंदा रखने के लिए `दिल` सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. क्या बिना दिल के कोई इंसान एक पल भी जिंदा रह सकता है? आप कहेंगे कि ये नामुमकिन है! लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं जिसने ये कारनामा कर दिखाया है. वह एक-दो दिन नहीं बल्कि करीब डेढ़ साल तक बिना दिल के जिंदा रहा.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Wed, 30 Jun 2021-4:03 pm,
1/5

बिना दिल के 555 दिन गुजारे

दरअसल, स्टेन लार्किन नाम के शख्स के दिल का ट्रांसप्लांट होना था, लेकिन उन्हें कोई डोनर नहीं मिल रहा था. ऐसे में उन्हें एक-दो नहीं बल्कि पूरे 555 दिन 'आर्टिफिशियल हार्ट' के साथ गुजारने पड़े. 

2/5

पीठ पर दिल लिए घूमता था

स्टेन लार्किन आर्टिफिशियल हार्ट वाले बैग को अपनी पीठ पर टांगकर रोजमर्रा के काम करते थे. इतना ही नहीं वो इसे अपनी पीठ पर टांगे दोस्तों के साथ फुटबॉल तक खेलते थे. बता दें कि इंसान को आर्टिफिशियल हार्ट की जरूरत तब पड़ती है जब उसके हार्ट के दोनों साइड फेल हो जाते हैं और सामान्य हार्ट सपोर्टिंग डिवाइस उसे जिंदा रखने के लिए काफी नहीं होते. 

3/5

2016 में मिला नया दिल

cbsnews में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक लार्किन को साल 2016 में डोनर मिला और उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया. तब उनकी उम्र 25 साल थी. लेकिन इससे पहले, 555 दिन तक उन्होंने डोनर के इंतजार में SyncArdia डिवाइस (कृत्रिम हृदय) का बैग अपने साथ रखा. इस बैग का वजन करीब 6 किलो था. बता दें कि ये मामला करीब 5 साल पुराना है लेकिन स्टेन लार्किन की ये प्रेरणादायक कहानी एक बार फिर से सुर्खियों में है. 

4/5

SyncArdia डिवाइस ने दी जिंदगी

मिशिगन विश्वविद्यालय में कार्डियक सर्जरी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जोनाथन हैफ्ट और लार्किन के हृदय रोग विशेषज्ञ ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार लार्किन को देखा, तो वह काफी बीमार था. उन्होंने कहा, 'जब मैं पहली बार स्टेन से मिला, उस समय उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था, वह जिंदगी और मौत से लड़ रहा था. उसे कृत्रिम उपकरण पर भरोसा नहीं था, लेकिन उसे पता था कि उसे जिंदा रखने का यह ही एक मात्र विकल्प था.'

5/5

डॉक्टर भी हैरान

जोनाथन हैफ्ट ने सीबीएस न्यूज से कहा कि लार्किन मिशिगन में SyncArdia डिवाइस के साथ अस्पताल से झुट्टी पाने वाला पहला मरीज था. उसे इस डिवाइस को हमेशा अपने साथ एक बैग में रखना था. 2016 में मिशिगन यूनिवर्सिटी फ्रैंकल कार्डियोवास्कुलर सेंटर प्रेस कॉन्फ्रेंस में लार्किन ने कहा, 'SyncArdia डिवाइस ने मुझे नया जीवन दिया.'

 

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link