Climate change की वजह से इंसान होंगे तबाह, दिमाग खा जाने वाला अमीबा कर देगा सब कुछ बर्बाद

मेरीलैंड जैसे राज्यों में इनके मिलने का मतलब है गंभीर खतरा. और ये सब क्लाइमेट चेंज की वजह से कुछ ही समय में इंसानों के लिए खतरा बनकर उठ खड़े होंगे.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Tue, 01 Jun 2021-1:02 am,
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क्लाइमेट चेंज बना बड़ा खतरा

न्यूयॉर्क: वैज्ञानिक लंबे समय से क्लाइमेट चेंज को लेकर सावधान करते रहे हैं. लेकिन उन चेतावनी को लगभग नजरअंदाज किया जाता है. ऐसे में पर्यावरण परिवर्तन यानी क्लाइमेट चेंज की वजह से ऐसा जीव तेजी से बढ़ सकता है, जो इंसानों के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है.

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अमीबा से खतरा

जी हां, वैज्ञानिकों का दावा है कि दो खास तरह के पैथोजन्स इंसानों के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं, वो भी क्लाइमेट चेंज की वजह से. ये पैथोजन्स समंदर में पाए जाते हैं, लेकिन अब मजबूरी में किनारों की तरफ बढ़ रहे हैं. और इस शताब्दी के आखिर तक दुनिया के हर कोने में पहुंचने का माद्दा भी रखते हैं. 

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इंसानी दिमाग को खा जाने वाला अमीबा

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के इंफेक्शस डिजीज एक्सपर्ट सांद्रा गॉम्प्फ ने दावा किया है कि इंसानी दिमाग को खा जाने वाला अमीबा नाएग्लीरिया फॉलेरी और इंसानी शरीर को गला देने वाला बैक्टीरिया विब्रिओ वल्नीफिकस अब इंसानों पर कहर बनकर टूट सकते हैं.

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अमेरिका के कई राज्यों तक पहुंचे पैथोजन्स

पर्यावरण में तेजी से बढ़ रही गर्मी की वजह से ये पैथोजन्स अब इंसानों के बीच पहुंच रहे हैं. अभी तक नाएग्लीरिया फॉलेरी उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में कम ही मिलते थे, लेकिन अब अमेरिका के फ्लोरिडा, टेक्सास जैसे राज्यों में समंदर किनारे भी ये अमीबा मिले हैं. यही नहीं, मेरीलैंड जैसे राज्यों में इनके मिलने का मतलब है गंभीर खतरा. और ये सब क्लाइमेट चेंज की वजह से कुछ ही समय में इंसानों के लिए खतरा बनकर उठ खड़े होंगे.

 

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रोकथाम के लिए बचता है कम समय

विशेषज्ञों ने कहा कि नाएग्लीरिया फॉलेरी का इंफेक्शन होने के बाद उसका इलाज करना बेहद कठिन है. ये तेजी से फैलता है और इंसानी भेजे की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. इसकी वजह से दिमाग और रीढ़ की हड्डी की झिल्ली में सूजन हो जाती है. जिसके बाद उसे रोकना बेहद कठिन हो जाता है. कई बार तो इसके लक्षणों का पचा तलने से पहले ही मरीज की मौत हो जाती है. 

 

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शरीर ही गला देगा ये बैक्टीरिया

यूएस के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन बोर्ड के मुताबिक विब्रिओ वल्नीफिकस की वजह से त्वचा के नीचे के ऊतक नष्ट होते जाते हैं. जब त्वचा कहीं से कट-फट जाती है, तो उस जगह से बैक्टीरिया शरीर में चले जाते हैं. इसी वजह से मांस गलने का रोग हो जाता है. जिन लोगों के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है, उनमें इसके होने का खतरा ज़्यादा होता है.

 

 

 

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