अमेरिका-डेनमार्क ने की यूरोप के बड़े नेताओं की जासूसी, जर्मनी की चांसलर का फोन हुआ टेप, फ्रांस भी नाराज

एनएसए ने एक्सकीस्कोर नाम का सॉफ्टवेयर इस जासूसी को अंजाम देने के लिए डेवलप किया था. इससे फोन कॉल और एसएमएस तक को इंटरसेप्ट किया जाता था.

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अमेरिका का जासूसी कांड

पेरिस: अमेरिका ने यूरोप के बड़े नेताओं की जासूसी को अंजाम दिया है, जिसमें डेनमार्क ने उसका साथ दिया है. जासूसी की इस कांड में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल तक का फोन टेप कर लिया गया. इन रिपोर्ट पर फ्रांस ने नाराजगी जताई है और कहा कि डेनमार्क ने ऐसा करके गलती की है. बता दें कि डेनमार्क भी यूरोपीय संघ का हिस्सा है और ईयू के सभी देशों के साथ मिलकर सामूहिक अर्थव्यवस्था में साझेदारी रखता है.

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दानिश मीडिया की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

दानिश मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक़ ये मामला साल 2012 से 2014 के बीच का है. डेनमार्क के पब्लिक सर्विस ब्रोडकास्टर डीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिफेंस इंटेलीजेंस सर्विस ने अमेरिकी की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के साथ मिलकर सूचनाएं जुटाईं. कथित तौर पर ये खुफिया जानकारी जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और नॉर्वे के अधिकारियों के बारे जुटाई गई थी.

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स्पेशल सॉफ्टवेयर बनाया था

यूरोप के मंत्री क्लेमेंट ब्यूने ने स्थानीय चैनल ने बातचीत में कहा कि सहयोगियों के बीच भरोसा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये आरोप गंभीर हैं. जानकारी के मुताबिक एनएसए ने एक्सकीस्कोर नाम का सॉफ्टवेयर इस जासूसी को अंजाम देने के लिए डेवलप किया था. इससे फोन कॉल और एसएमएस तक को इंटरसेप्ट किया जाता था. स्वीडन ते रक्षामंत्री ने इस पूरे मामले में जांच की मांग की है़.

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स्नोडेन ने भी किया था फोन टेपिंग का खुलासा

अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडवर्स स्नोडेन ने जो जानकारियां सार्वजनिक कीं, उससे ये पता चला कि जर्मन चांसलर का फोन कथित तौर पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए टेप कर रही थी. जब ये आरोप लगाए गए तो व्हाइट हाउस ने इसका सीधे तौर पर खंडन नहीं किया था बल्कि ये कहा कि जर्मन चांसलर का फोन उस वक्त टेप नहीं किया गया था और न ही भविष्य में ऐसा किया जाएगा. बता दें कि जर्मनी अमेरिका का करीबी सहयोगी है.

 

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फ्रांस ने जताई तीखी नाराजगी

जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर स्टीनमिएर और एंगेला मर्केल के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें डेनमार्क की सरकारी मीडिया में इसकी रिपोर्ट पब्लिश होने तक डैनिश सरकार के इसमें शामिल होने की जानकारी नहीं थी. हालांकि अब फ्रांस ने इसपर कड़ा ऐतराज जताया है.

 

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