Modi in Brics Summit: पीएम मोदी ने रूस के कजान शहर में आयोजित ब्रिक्स के तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में दुनिया को भारत की बढ़ती ताकत का एहसास कराया. इस दौरान पीएम मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दो सत्रों को संबोधित किया. पहले तो उन्होंने शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए राष्ट्रपति पुतिन को बधाई दी, इसके बाद भागीदार देशों के रूप में ब्रिक्स में नए देशों का स्वागत किया. अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने डिजिटल इंडिया की सफलता से लेकर एक पेड़ मां के नाम, साइबर सुरक्षा, एआई, आतंकवाद और टेरर फंडिंग जैसे मुद्दों का जिक्र किया. पीएम ने कहा कि अपने नए रूप में ब्रिक्स दुनिया की 40% मानवता और लगभग 30% का प्रतिनिधित्व करता है. 


 ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की


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पीएम ने कहा कि ब्रिक्स ने पिछले दो दशकों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में यह संगठन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक प्रभावी माध्यम बनकर उभरेगा. मैं न्यू डेवलपमेंट बैंक की अध्यक्ष डिल्मा रूसेफ को बधाई देता हूं. इस दौरान पीएम मोदी ने न्यू डेवलपमेंट बैंक को लेकर कहा कि पिछले 10 वर्षों में यह बैंक ग्लोबल साउथ के देशों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है. भारत में गिफ्ट सिटी के खुलने से इस बैंक की गतिविधियों को मजबूती मिली है. 


'यह विभाजनकारी संगठन नहीं'


पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन विवाद का हल शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से करने का आह्वान करते हुए बुधवार को कहा कि संवाद और कूटनीति ही संघर्ष के समाधान का एकमात्र रास्ता है. ब्रिक्स के 16वें शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि समूह को दुनिया को यह संदेश देना चाहिए कि यह विभाजनकारी संगठन नहीं, बल्कि मानवता के हित में काम करने वाला संगठन है. प्रधानमंत्री ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर चिंता जताते हुए कहा कि ब्रिक्स विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है. 


आतंकवाद से निपटने के लिए..


उन्होंने कहा कि हम युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं. और जिस तरह हम एक साथ मिलकर कोविड जैसी चुनौती से पार पाने में सक्षम हुए, उसी तरह हम भावी पीढ़ियों के वास्ते सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नए अवसर पैदा करने में निश्चित रूप से सक्षम हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों की भी वकालत की और कहा कि इस खतरे से लड़ने में कोई ‘‘दोहरा मापदंड’’ नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा ‘‘आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए, हमें सभी के एकजुट, दृढ़ समर्थन की आवश्यकता है. इस गंभीर मामले पर दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है. 


मोदी ने कहा कि समूह के देशों को युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा ‘‘हमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र में व्यापक समझौते के लंबित मुद्दे पर मिलकर काम करना होगा.’’ उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘‘हमें साइबर सुरक्षा, सुरक्षित और संरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमन के वास्ते काम करने की आवश्यकता है.


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत


प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य वैश्विक निकायों में सुधार की भी वकालत की. उन्होंने कहा, ‘‘हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंकों और विश्व व्यापार संगठन जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधारों पर समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए.’’ मोदी ने कहा, ‘‘जब हम ब्रिक्स में अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि यह वैश्विक संस्थानों को बदलने की कोशिश कर रहा है, बल्कि यह समझा जाए कि यह संगठन उन्हें सुधारने की इच्छा रखता है.


प्रधानमंत्री ने वैश्विक चुनौतियों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है. दुनिया उत्तर-दक्षिण विभाजन और पूर्व-पश्चिम विभाजन के बारे में बात कर रही है.’’ मोदी ने कहा कि महंगाई को रोकना तथा खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और जल सुरक्षा सुनिश्चित करना दुनिया के सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के इस युग में, साइबर डीप-फेक, गलत सूचना जैसी नयी चुनौतियां सामने आई हैं.


ब्रिक्स से काफी उम्मीदें


उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में ब्रिक्स से काफी उम्मीदें हैं. मेरा मानना ​​है कि एक विविध और समावेशी मंच के रूप में ब्रिक्स सभी क्षेत्रों में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है.’’ जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत द्वारा आयोजित ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को याद करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समूह को ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए. 


उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए और ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए.’’ मोदी ने कहा, ‘‘जोहानिसबर्ग शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाए गए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, मानदंडों और प्रक्रियाओं का सभी सदस्यों और भागीदार देशों द्वारा अनुपालन किया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारधाराओं के समागम से बना ब्रिक्स समूह दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो सकारात्मक सहयोग को बढ़ावा देता है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी विविधता, एक-दूसरे के प्रति सम्मान और आम सहमति के आधार पर आगे बढ़ने की हमारी परंपरा हमारे सहयोग का आधार है.


बुनियादी ढांचे पर विशेष जोर


पीएम मोदी ने यह भी कहा कि सभी ब्रिक्स देशों में बुनियादी ढांचे पर विशेष जोर दिया जा रहा है. भारत में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को तेजी से बढ़ाने के लिए, हमने 'गतिशक्ति' पोर्टल बनाया है. इससे इन विकासों की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन में मदद मिली है और लॉजिस्टिक्स लागत कम हुई है. हमें आप सभी के साथ अपने अनुभव साझा करने में खुशी होगी. हम ब्रिक्स देशों के बीच वित्तीय एकीकरण बढ़ाने के प्रयासों का स्वागत करते हैं. स्थानीय मुद्रा में व्यापार और आसान सीमा पार भुगतान से हमारा आर्थिक सहयोग मजबूत होगा यह भारत की एक बड़ी सफलता की कहानी है. इसे कई देशों में अपनाया गया है. पिछले साल हमने शेख मोहम्मद के साथ मिलकर इसे संयुक्त अरब अमीरात में भी लॉन्च किया था. अन्य विदेशी देशों के साथ भी इसमें सहयोग किया जा सकता है.


सहयोग के बढ़ते दायरे का जिक्र


वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अन्य देशों के नेताओं की मेजबानी की. पुतिन ने बुधावर को ब्रिक्स की बैठक की शुरुआत में अपने एजेंडे के हिस्से के रूप में वित्त क्षेत्र में सहयोग के बढ़ते दायरे का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल होने वाले देश क्षेत्रीय संघर्षों सहित कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तथा अन्य देशों को शामिल कर समूह के विस्तार पर भी चर्चा करेंगे. 


पुतिन ने कहा कि विश्व पटल पर ब्रिक्स की रणनीति वैश्विक समुदाय के मुख्य हिस्से के प्रयासों की पुष्टि करती है. इसे ही तथाकथित वैश्विक बहुलता कहा जाता है. ब्रिक्स की शुरुआत में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इसके सदस्य थे हालांकि अब इसके दायरे को बढ़ाकर समूह में ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब को शामिल किया गया है. इसके अलावा तुर्किये, अजरबैजान और मलेशिया ने औपचारिक रूप से सदस्य बनने के लिए आवेदन किया है. कई अन्य देशों ने इसमें शामिल होने में रुचि दिखाई है.