शी जिनपिंग का चढ़ गया पारा, पुतिन-किम की दोस्ती देख बिफरा ड्रैगन, चीन आखिर खफा क्यों है?
Kim Jong Putin Driving: योनसेई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वूयेल पाइक ने कहा, चीन के नजरिए से रूस और उत्तर कोरिया के रक्षा सहयोग को बढ़ता देख, चीन असहज होगा, क्योंकि इससे पूर्वोत्तर एशिया क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को गंभीर नुकसान होगा.
Putin-Kim Jong Friendship: 24 साल बाद पुतिन के नॉर्थ कोरिया दौरे की जो तस्वीरें सामने आई हैं, और दोनों देशों के बीच जिस तरह के समझौते हुए हैं. उसने जिनपिंग की टेंशन बढ़ा दी हैं. वैसे तो चीन और नॉर्थ कोरिया भी एक दूसरे के करीबी हैं. लेकिन जिस गर्मजोशी के साथ किम जोंग ने पुतिन के प्योंगयांग दौरे को खास बनाया, अपने साथ पुतिन को कार में घुमाया, उससे जिनपिंग के नाराज होने की खबरें हैं. चलिए जानते हैं ऐसा क्यों?
पुतिन और किम जोंग की तस्वीरें जिनपिंग के सीने में शूल की तरह चुभ रही होंगी. इन तस्वीरों को देखकर जिनपिंग का ब्लडप्रेशर हाई हुआ होगा. जिनपिंग को किम जोंग पर बहुत गुस्सा आया होगा. लेकिन क्यों ? आपको तफ्सील से बताएंगे. पहले आप पुतिन के प्योंगयांग दौरे की एक ये तस्वीर देखिए.
जब पुतिन प्योंगयांग पहुंचे तो किम जोंग ने भव्य स्वागत किया. इसके बाद पुतिन के सम्मान में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कराया. इतना ही नहीं हर पल किम जोंग खुद पुतिन के साथ देखे गए.
पुतिन से किम की दोस्ती समझिए कि प्योंगयांग शहर की बिल्डिंग्स और दीवारों को पुतिन की तस्वीरें से सजाया गया था. यहां तक की किम जोंग ने पुतिन के साथ कार ड्राइव की.
लेकिन साउथ कोरिया की सोनसेई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का दावा है कि इससे चीन यकीनन चिढ़ गया है, जिनपिंग इस दोस्ती को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे.
योनसेई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वूयेल पाइक ने कहा, चीन के नजरिए से रूस और उत्तर कोरिया के रक्षा सहयोग को बढ़ता देख, चीन असहज होगा, क्योंकि इससे पूर्वोत्तर एशिया क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को गंभीर नुकसान होगा. उत्तर कोरिया ने चीन का विकल्प ढूंढ लिया है और इसका मतलब है कि उत्तर कोरिया ने चीन पर बढ़त हासिल कर ली है.
वैसे तो चीन भी नॉर्थ कोरिया का मित्र देश है, लेकिन चीन नहीं चाहेगा कि नॉर्थ कोरिया की उसके अलावा किसी दूसरे देश से गहरी दोस्ती हो. दरअसल, इसकी कई वजह हैं.
चीन, नॉर्थ कोरिया के परमाणु कार्यक्रम अपने कंट्रोल में रखना चाहता है.
जबकि रूस, नॉर्थ कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों का समर्थक रहा है.
चीन को डर है कि रूस नॉर्थ कोरिया के जरिये उसका फायदा उठा सकता है.
मई महीने में जिनपिंग ने पुतिन से मुलाकात की थी, और पुतिन से रिक्वेस्ट की थी कि जल्द नॉर्थ कोरिया की यात्रा ना करें. लेकिन पुतिन ने इसे दरकिनार कर दिया.
चीन को आशंका है, कि रूस जैसा सहयोगी नॉर्थ कोरिया को मिल गया, तो उसकी अहमियत कम हो जायेगी.
वैसे पुतिन और किम जोंग, चीन की मदद से ही दोस्ती कर रहे हैं, इसलिए वो जिनपिंग को नाराज नहीं करना चाहते. क्योंकि, चीन दोनों देशों पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच व्यापार और प्रभाव बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण जरिया है.
चीनी राष्ट्रपति पर पहले से ही अमेरिका और यूरोप दबाव डाल रहे हैं कि वो रूस को अपना समर्थन देना बंद करे और उसे वो सामान ना दें जो यूक्रेन युद्ध को बढ़ाने का काम कर रहे हैं. ऐसे में शी जिनपिंग इन चेतावनियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते.
वजह ये कि जिस तरह से दुनिया को चीन के सामान की जरूरत है, उसी तरह चीन को भी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने रहने, विदेशी पर्यटकों और निवेश की जरूरत है.
लेकिन पुतिन और किम जोंग की मुलाकात, दोनों देशों के बीच हुए समझौतों से दुनिया को मैसेज दिया गया है. दोनों को किसी की परवाह नहीं है, तभी तो एक दूसरे को सैन्य सहयोग देने पर किम जोंग और पुतिन तैयार हैं.